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  • मनोचिकित्सा विभाग में उजागर हो रही अनियमितता

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नागपुर. शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग में एम्स दिल्ली द्वारा व्यसन उपचार केंद्र चलाया जाता है. केंद्र से अब तक अनेक मरीजों को लाभ भी मिला है लेकिन केंद्र को मिलने वाली निधि और सामग्री की खरीदी में अनियमितता सामने आ रही है. इस संबंध में अधिष्ठाता ने विभाग प्रमुख से खरीदी की गई सामग्री के बारे में जानकरी भी मांगी है.

केंद्र में व्यसन उपचार के लिए ओपीडी में सेवा दी जाती है. इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय से निधि उपलब्ध कराई जाती है. केंद्र को मिली निधि नोडल अधिकारी और संस्था प्रमुख यानी अधिष्ठाता के संयुक्त अकाउंट में जमा की जानी चाहिए. लेकिन पिछले 2 वर्षों से संयुक्त अकाउंट ही नहीं बनाया गया.

पिछले दिनों अधिष्ठाता को जानकारी मिलने के बाद उन्होंने संयुक्त अकाउंट बनाने के निर्देश दिए. फिलहाल यह प्रक्रिया चल रही है. लेकिन अब तक नोडल अधिकारी यानी विभाग प्रमुख ने किसी भी खरीदी के लिए अधिष्ठाता से अनुमति नहीं ली. अकाउंट किसी एक ही अधिकारी के नाम पर है. इतना ही नहीं खर्च की गई रकम के बारे में अधिष्ठाता कार्यालाय को जानकारी तक नहीं है. केवल अधिष्ठाता कार्यालय ही नहीं बल्कि महाविद्यालय प्रशासन व खरीदी विभाग से भी किसी तरह का पत्र व्यवहार नहीं किया गया. 

नियुक्ति के बिना ही वेतन

नोडल अधिकारी ने ही सीधे तौर पर खरीदी की है जो कि नियमों का सरासर उल्लंघन है. सेंटर में कार्यरत कुछ कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र के बिना भी वेतन अदा किये जाने की जानकारी है, जबकि नियुक्ति प्रक्रिया अधिष्ठाता कार्यालय द्वारा की जानी चाहिए. पिछले 7-8 महीनों से समुपदेशक पद पर कार्यरत कर्मचारी को बिना नियुक्ति ही वेतन अदा किया जा रहा है. इसका खुलासा तब हुआ जब संबंधित समुपदेशक ने नोडल अधिकारी से अनुभव प्रमाणपत्र मांगा लेकिन उसके पास नियुक्ति पत्र ही नहीं था.