Nagpur High Court
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    नागपुर. विदर्भ की औद्योगिक इकाइयों को बिजली दरों में विशेष छूट देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की गई. लेकिन बाद में छूट देने से इनकार कर दिया. सरकार की इस कार्यप्रणाली के खिलाफ विदर्भ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जवाब दायर करने के लिए समय देने का अनुरोध किया. सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने हलफनामा दायर करने के लिए राज्य सरकार को 2 सप्ताह का अंतिम मौका प्रदान किया. याचिकाकर्ता की अधि. हर्निश गढिया, राज्य सरकार की सहायक सरकारी वकील निवेदिता मेहता, बिजली विभाग की अधि. एसवी पुरोहित और अन्य प्रतिवादियों की अधि. आयुषी डांगरे ने पैरवी की.

    …तो अंतरिम राहत, अदालत ने दिए संकेत

    अदालत ने आदेश में कहा कि 16 नवंबर 2022 को राज्य सरकार के उद्योग, ऊर्जा विभाग, एमएसईडीसीएल और विकास आयुक्त (उद्योग) द्वारा जवाब दायर करने के लिए समय मांगा गया था. लंबा समय होने के बाद भी अदालत ने तीनों प्रतिवादियों को समय प्रदान किया था, किंतु अभी भी राज्य सरकार जवाब दायर करने के लिए समय मांग रही है. हालांकि याचिका में उत्पन्न मुद्दों को देखते हुए जवाब जरूरी होने से समय तो दिया जा रहा है लेकिन यदि अगली सुनवाई तक जवाब दायर नहीं किया गया तो याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत पर संज्ञान लेने के संकेत भी अदालत ने दिए. 

    पहले लुभाया, फिर मुंह मोड़ा

    याचिकाकर्ता का मानना है कि राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग ने 29 जून 2016 और 24 मार्च 2017 को अधिसूचनाएं जारी कीं. सरकार ने कहा था कि विदर्भ में जो भी औद्योगिक इकाइयां स्थापित करते हैं उन्हें या फिर उस समय संचालित हो रहीं औद्योगिक इकाइयों को भी कई तरह की छूट दी जाएगी. अधिसूचना के अनुसार औद्योगिक इकाइयों द्वारा उपयोग की जाने वाली बिजली में 40 पैसे प्रति यूनिट की छूट देने का भी प्रावधान किया गया. राज्य सरकार ने इसे वापस तो नहीं लिया गया, इसके विपरीत लाभ देने से ही इनकार कर दिया. इस संदर्भ में याचिकाकर्ता द्वारा गठित संयुक्त समन्वय समिति के माध्यम से राज्य सरकार के तत्कालीन ऊर्जा मंत्री को ज्ञापन भी दिया गया. लेकिन मसले का हल नहीं निकाला गया जिससे मजबूरन हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी.