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    नागपुर. शिकायतकर्ता को वेतन अदा करने के संदर्भ में औद्योगिक न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए जिला परिषद के सीईओ की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने औद्योगिक न्यायालय के आदेश पर अंतरिम रोक तो लगा दी किंतु अदा की जाने वाली राशि हाई कोर्ट में जमा नहीं किए जाने पर अंतरिम राहत खत्म होने की चेतावनी भी दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. पी.के. राऊलकर ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि निवृत्ति गाड़ीकर ने वेतन के लिए औद्योगिक न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जिस पर न्यायालय ने वेतन का भुगतान करने के आदेश जिला परिषद को दिए थे.

    एक माह में करना था भुगतान

    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि 12 जून से लेकर फरवरी 2013 तक का वेतन शिकायतकर्ता को अदा करने के आदेश दिए गए थे. यहां तक कि 6 प्रतिशत की ब्याज दर से एक माह में भुगतान करने के आदेश दिए गए. आदेशों के अनुसार शिकायतकर्ता को 6,84,604 रु. अदा किए जाने थे. याचिकाकर्ता का मानना था कि औद्योगिक न्यायालय ने यह आदेश उनकी अनुपस्थिति में दिया है. शिकायतकर्ता की आपत्ति पर उससे सवाल-जवाब करने का मौका तक नहीं दिया गया. इसे देखते हुए अदालत ने एक मौका देने की आवश्यकता जताई. 

    राशि जमा करने की जताई इच्छा

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि जो राशि प्रतिवादी शिकायतकर्ता को अदा किया जाना है वह हाई कोर्ट में जमा करने के लिए याचिकाकर्ता तैयार है. 2 सप्ताह में ही राशि जमा कर दी जाएगी. दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने प्रतिवादी को नोटिस जारी कर 23 फरवरी तक जवाब दायर करने के आदेश दिए. साथ ही 2 सप्ताह के भीतर पूरी राशि जमा करने की शर्त पर 16 नवंबर 2019 को औद्योगिक न्यायालय द्वारा दिए आदेश के पालन पर अंतरिम रोक लगा दी.