Shiv Sena

  • शिवसेना का पीछा नहीं छोड़ रहीं मुसीबतें

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नागपुर. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा 40 विधायकों और सांसदों को अपने गुट में शामिल किये जाने के बाद राज्य की राजनीति में उठापटक जारी है. इस बीच नागपुर में शिवसेना अपने अधिकार का शिवसेना भवन भी नहीं बचा सकी. वर्ष भर से किराया और बिजली बिल अदा नहीं कर पाने की वजह से गणेशपेठ स्थित कार्यालय को मकान मालिक ने खाली करा लिया. इससे एक बार फिर पदाधिकारियों की आफत हो गई है.

फिलहाल शिंदे गुट और ठाकरे गुट के बीच चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद चल रहा है. शिवसेना और धनुष-बाण पर शिंदे की बालासाहब शिवसेना ने दावा किया है. इसके विरोध में उद्धव ठाकरे ने कोर्ट की शरण ली है. फिलहाल भाजपा और शिंदे गुट उद्धव की शिवसेना के साथ जोरदार टक्कर की तैयारी में है. पिछले दिनों शिवेसना के प्रवक्ता और सांसद संजय राऊत विदर्भ दौरे पर आये थे. कुछ दिन यहां रहे भी. उस वक्त स्वीकार भी किया कि भाजपा के लिए सीट छोड़कर गलती की थी. विदर्भ में शिवसेना को दोबारा मजबूत करने का संकल्प भी लिया था.

पार्टी के आदेश को किया नजरअंदाज 

इस दौरान शिवसेना की बैठकें शिवसेना भवन की बजाय नागपुर के संपर्क प्रमुख दुष्यंत चतुर्वेदी के कार्यालय में होने लगी थीं. इस पर पदाधिकारियों ने आपत्ति भी जताई थी. इस संबंध में मुंबई तक शिकायत भी गई थी. पश्चात पार्टी आला कमान ने बैठकें शिवसेना भवन में ही लेने के आदेश दिये थे लेकिन इस ओर भी ध्यान नहीं दिया. अब स्थिति यह है कि किराया और बिजली बिल नहीं भरने से शिवसेना कार्यालय का ही अस्तित्व ही नहीं रह गया. जब सतीश हरडे जिला प्रमुख थे तब 2014 में गणेशपेठ में शिवसेना भवन के लिए कार्यालय किराये पर लिया गया था.

20,000 रुपये किराया और इलेक्ट्रिक बिल सेना द्वारा भरा जा रहा था. 3-4 वर्ष तक कार्यालय शुरू रहा. महानगर पालिका के चुनाव में एबी फॉर्म का वितरण भी इसी कार्यालय से किया गया. प्रकाश जाधव के जिला प्रमुख बनने के बाद 7-8 महीने तक कार्यालय से कामकाज चलता रहा. इसके बाद शिवसेना की कार्यकारिणी बदल गई और शिवसेना भवन में भी आने वाले कम हो गये. इस वजह से पदाधिकारियों ने किराया देना भी बंद कर दिया. आखिरकार कार्यालय के मालिक किशोर राय ने कार्यालय खाली करा लिया. इसे किसी दूसरे को किराये पर भी दे दिया गया है.