नागपुर. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद राज्य चुनाव आयोग के आदेश पर 156 सीटों वाली महानगरपालिका में शुक्रवार को आरक्षण तय किया गया. इसमें नियमों के अनुसार तय प्रक्रिया के तहत लॉटरी तो निकाली गई किंतु वर्ष 2017 में हुए चुनावों की तुलना में ओबीसी वर्ग की सीटें घट गईं. हालांकि वर्ष 2017 में मनपा में केवल 151 सदस्य संख्या थी, जबकि अब 5 सीटें बढ़ाकर 156 सीटें कर दी गईं हैं. इसके बावजूद ओबीसी की 7 सीटें कम हुई हैं. वर्ष 2017 में ओबीसी की कुल 42 सीटें थीं, जबकि शुक्रवार को निकाली गई लॉटरी के बाद ओबीसी के खाते में केवल 35 सीटें ही रही हैं. जानकारों के अनुसार राज्य चुनाव आयोग ने वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी की सीटों को निर्धारित करने के आदेश दिए थे. इसी आधार पर आरक्षण भी तय किया गया. इसके बावजूद सीटें कम होने पर आश्चर्य जताया जा रहा है.
केवल 23.5% ही मिलेगा प्रतिनिधित्व
राज्य चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार शुक्रवार को ओबीसी के लिए निकाली गई लॉटरी के अंतिम आंकड़ों के अनुसार ओबीसी वर्ग को केवल 23.5 प्रतिशत ही प्रतिनिधित्व मिलने जा रहा है, जबकि वर्ष 2017 के चुनाव के दौरान निकली लॉटरी के दौरान ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व दिया गया था. यही कारण है कि आगामी चुनावों में ओबीसी को पहले ही 7 सीटों का झटका खाना पड़ रहा है. राजनीतिक जानकारों के अनुसार राज्य चुनाव आयोग ने किस आधार पर 23.5 प्रतिशत निर्धारित किया गया, यह समझ से परे है. वर्ष 2017 को हुए चुनाव में भी 2011 की जनसंख्या के आधार पर ही अलग-अलग वर्ग का आरक्षण निर्धारित किया गया था. वास्तविक रूप में 5 वर्षों में सीटें बढ़नी चाहिए थीं, किंतु यहां उलटा हो रहा है. यहां तक कि वर्ष 2017 के अनुपात में भी आरक्षण नहीं दिया जा रहा है.
सर्वसाधारण पुरुष वर्ग को अधिक सीटें
राज्य चुनाव आयोग के आदेशों के अनुसार इसके पूर्व अनुसूचित जाति और जनजाति महिला वर्ग के लिए आरक्षण निर्धारित किया गया था जिसके अनुसार अनुसूचित जाति महिला वर्ग के लिए 16, पुरुष वर्ग के लिए 15 सीटें निर्धारित की गईं. इसी तरह से अनुसूचित जनजाति वर्ग महिला के लिए 12 सीटें निर्धारित की गई थीं जिनमें महिला और पुरुष वर्ग में बराबरी की सीटें तय हुईं. शुक्रवार को ओबीसी वर्ग के साथ ही सर्वसाधारण वर्ग के लिए नये सिरे से आरक्षण निर्धारित किया गया. इसके अनुसार ओबीसी महिला वर्ग को 18 सीटें मिलीं, जबकि सर्वसाधारण वर्ग में महिला के लिए 38 सीटें निर्धारित की गई हैं. सर्वाधिक 40 सीटें सर्वसाधारण पुरुष वर्ग के लिए आरक्षित हुई हैं.
50 प्रतिशत की शर्त का पालन
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार भले ही स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण निर्धारित करने की छूट दी गई हो लेकिन किसी भी हाल में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण न हो, इसका ध्यान रखने की कड़ी हिदायत दी गई थी. इसके अनुसार राज्य चुनाव आयोग ने विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण निर्धारित किया. निर्धारित आरक्षण के अनुसार अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 19 प्रतिशत, जनजाति के लिए 7.7 प्रतिशत और ओबीसी वर्ग के लिए 23.5 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया. इस तरह से 156 सीटों के लिए एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए 78 सीटें तथा सर्वसाधारण वर्ग में 78 सीटें आरक्षित की गई हैं.
इस तरह रहेगा कार्यक्रम
30 जुलाई को प्रभाग अनुसार आरक्षण प्रारूप घोषित होगा.
30 जुलाई से 2 अगस्त तक आरक्षण पर आपत्ति और सुझाव दिए जा सकेंगे.
5 अगस्त को अंतिम आरक्षण के लिए राजपत्र जारी होगा.