15 मार्च तक स्थापित हो रोबोटिक सर्जरी सिस्टम, अन्यथा HC में हाजिर हों हाफकिन्स के MD

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    नागपुर. हाई कोर्ट द्वारा कई बार आदेश देने के बाद किसी तरह अब मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी सिस्टम लगाने के लिए टेंडर की प्रक्रिया तो पूरी की गई. कार्यादेश नहीं दिए जाने के कारण अब तक इसे स्थापित नहीं किया जा सका है. गुरुवार को इस मामले पर अदालत का ध्यानाकर्षित करने के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने 15 मार्च तक मेडिकल में रोबोटिक सर्जरी सिस्टम स्थापित करने के आदेश हाफकिन्स को दिए.

    आदेश का पालन नहीं किए जाने पर कड़ी कार्रवाई क्यों न की जाए, इसके जवाब के साथ अगली सुनवाई के दौरान अदालत में हाजिर रहने के आदेश हाफकिन्स के इंचार्ज प्रबंध संचालक अभिमन्यु काले को दिए. अदालत मित्र के रूप में अधि. अनूप गिल्डा और विशेष वकील के रूप में अधि. फिरदौस मिर्जा ने पैरवी की.

    टेंडर प्रक्रिया पूरी, पड़ी है 21 करोड़ की निधि

    सुनवाई के दौरान अदालत ने कब तक रोबोटिक सर्जरी सिस्टम स्थापित होगा, इसकी जानकारी लेने के आदेश हाफकिन्स की पैरवी कर रहे वकील को दिए. अदालत का मानना था कि इस संदर्भ में टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. यहां तक कि 21 करोड़ की निधि पड़ी हुई है. हालांकि टेंडर प्रक्रिया को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी किंतु 9 जनवरी 2023 को ही हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया. इससे अब मामले को लंबित रखने का कोई औचित्य ही नहीं है. सुनवाई के दौरान अजीबोगरीब जानकारी उजागर की गई है. इंचार्ज प्रबंध संचालक की टेबल पर अंतिम हस्ताक्षर के लिए फाइल पड़ी होने की जानकारी मिली. हस्ताक्षर होते ही न्यूनतम बोलीधारक को कार्यादेश जारी हो सकेगा.

    हाजिर हुए कार्यकारी अभियंता, मांगी बिना शर्त माफी

    मेयो और मेडिकल अस्पताल में फायर सेफ्टी उपकरण लगाने में देरी किए जाने के कारण हाई कोर्ट ने एक दिन पहले ही पीडब्ल्यूडी (बिजली) के कार्यकारी अभियंता को हाजिर रहने के आदेश दिए थे. गुरुवार को कार्यकारी अभियंता हेमंत पाटिल अदालत के समक्ष हाजिर हुए. साथ ही मामले में हुई देरी के लिए बिना शर्त माफी भी मांगी. उन्होंने तेज गति से दोनों अस्पतालों में फायर सेफ्टी उपकरण लगाने का आश्वासन दिया.

    आवश्यक अनुमति और मंजूरियों के लिए मुंबई मंत्रालय जाकर स्वयं यह कार्य करने का आश्वासन भी दिया. गुरुवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार हाफकिन्स कंपनी के वकील की ओर से अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास तो किया गया किंतु वकील से इंचार्ज प्रबंध संचालक का संपर्क ही नहीं हो पाया. यहां तक कि वकील को काले का नंबर तक किसी अधिकारी द्वारा नहीं दिया गया.