BHAGWAT

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नई दिल्ली/नागपुर. RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बीते गुरुवार को नागपुर में कहा कि, भारत के पास पारंपरिक ज्ञान का विशाल भंडार है। लेकिन कुछ स्वार्थी लोगों ने प्राचीन ग्रंथों में जानबूझ कर इसमें गलत तथ्य जोड़े हैं।

उन्होंने कहा कि, हमारे यहां पहले ग्रंथ नहीं थे, सब मौखिक परंपरा से चलता आ रहा था, बाद में ये सभी ग्रंथ इधर-उधर हो गए और कुछ स्वार्थी लोगों ने ग्रंथ में कुछ-कुछ घुसाया जो गलत है, उन ग्रंथों परंपराओं के ज्ञान की फिर एक बार समीक्षा जरूरी है। मोहन भागवत द्वारा ये बात नागपुर जिले के कन्होलिबरा में आर्यभट्ट एस्ट्रोनोमी पार्क के उद्घाटन के मौके पर कही है।

मोहन भागवत ने कहा, “हमारे पास परंपरागत रूप से जो है, उसके बारे में हर व्यक्ति के पास कम से कम मूलभूत जानकारी होनी चाहिए, इसे शिक्षा प्रणाली और लोगों के बीच आपसी बातचीत से हासिल किया जा सकता है।संघ प्रमुख ने बीते गुरूवार को ये भी कहा कि, ऐतिहासिक दृष्टि से भारत में चीजों को देखने का वैज्ञानिक नजरिया रहा है, लेकिन आक्रमणों के कारण “हमारी ग्रंथ व्यवस्था नष्ट हो गयी और ज्ञान की हमारी संस्कृति विखंडित हो गयी।”

उन्होंने आगे कहा कि, यदि भारत के लोग मौजूदा दौर में भी स्वीकार्य अपने पारंपरिक ज्ञान के आधार का पता लगा लेते, तो दुनिया की कई समस्याओं का समाधान भी इससे किया जा सकता है। भागवत ने आगे कहा कि, यदि भारतीय अपने पारंपरिक ज्ञान-विज्ञान आधार को खंगाले और उन्हें यह मिले कि वर्तमान दौर में जो स्वीकार्य है, वह पहले भी था तो दुनिया की कई समस्याओं का हमारे समाधानों से भी हल किया जा सकता है।

भागवत ने आगे ये भी कहा ज्ञान चाहने वाले को ज्ञान ही दिया जाए। ज्ञान समाज के सभी वर्ग तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि, चूंकि अन्य लोग बिना अनुमति ज्ञान लेना चाहते हैं तो ऐसे में जरूरी है कि हमें कम से कम यह पता हो कि हमारी परंपरा में कौन-कौन सी बातें निहित हैं। ग्रंथों परंपराओं के ज्ञान की फिर एक बार समीक्षा वक़्त की मांग है।