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नागपुर. राज्य के सरकारी कर्मचारियों की न्यायिक मांगों को लेकर लंबे समय से चली आ रही लड़ाई अब आरपार में तब्दील हो गई है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र राज्य महानगर पालिका, नगर पालिका, नगर परिषद कर्मचारियों के संगठन के फेडरेशन की अपील पर राष्ट्रीय नागपुर कार्पोरेशन एम्प्लाइज एसोसिएशन ने भी मनपा में हड़ताल का ऐलान कर दिया. ‘एक ही मिशन, लेकर रहेंगे पेंशन’ की घोषणाओं से मंगलवार को पूरा मुख्यालय गूंज उठा. एक ओर जहां हड़ताली कर्मचारियों की घोषणाओं से गलियारे गूंजते रहे. वहीं कार्यालय के भीतर कोई भी कर्मचारी नहीं होने से सन्नाटा छाया रहा. एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि कर्मचारियों को भी अब समझ में आ गया है कि अभी नहीं तो कभी नहीं. यही कारण है कि केवल अपील भर से तमाम कर्मचारी सड़कों पर आ गए हैं.

जोनल कार्यालय शत-प्रतिशत रहा बंद

माना जा रहा था कि भले ही मुख्यालय में हड़ताल का काफी असर रहेगा लेकिन जोनल कार्यालयों में कामकाज प्रतिदिन के अनुसार चलता रहेगा. कुछ कर्मचारी भले ही हड़ताल पर जाए लेकिन इसका कामकाज पर उतना असर नहीं होगा. किंतु प्रशासन की सोच के ठीक विपरीत जोनल कार्यालयों में मुख्यालय से अधिक असर दिखाई दिया. कुछ जोनल कार्यालयों में तो किसी भी कर्मचारी ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई. मनपा के 10 जोनल कार्यालयों में से 1-2 ही जोनल कार्यालय ऐसे रहे, जहां पर कैश काउंटर खुले रहे. मार्च का महीना होने के कारण इसी माह को मनपा की अधिक वसूली होती है जिसकी वजह से मनपा द्वारा अवकाश के दिनों में भी कार्यालयों को खुला रखा जाता है. किंतु अब हड़ताल होने से मनपा की वसूली पर भी असर पड़ रहा है. 

प्रशासन का दबाव तंत्र, जारी किया पत्र

संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि हड़ताल में 99 प्रतिशत कर्मचारी शामिल होने के कारण प्रशासन के पैरों तले जमीन खिसक गई है. हालांकि फेडरेशन की सुचना के अनुसार अत्यावश्यक सेवा में शामिल कर्मचारियों को हड़ताल से अलग रखा गया है. यदि जल्द ही मांगे पूरी नहीं हुई तो अत्यावश्यक सेवा के कर्मचारी भी इसमें शामिल होंगे. मनपा मुख्यालय और जोनल कार्यालयों में केवल वरिष्ठ अधिकारी ही उपस्थित थे. उनके अधिनस्थ पीए और चपरासी जैसे 2 कर्मचारियों को पहले ही अधिकारियों द्वारा हिदायतें दी गई थीं जिससे न चाहते हुए भी उन्हें कार्यालय में उपस्थित रहना पड़ा. इनके अलावा मनपा मुख्यालय से लेकर जोनल कार्यालय तक कोई भी कर्मचारी काम पर नहीं था. बताया जाता है कि प्रशासन की ओर से कर्मचारियों के लिए एक पत्र जारी किया गया. जिसमें काम पर नहीं आने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई. 

मुख्यालय से निकाला लांग मार्च

मनपा मुख्यालय में काफी समय तक नारेबाजी करने के बाद संगठन के पदाधिकारियों के साथ पुरुष और महिला कर्मचारियों द्वारा संविधान चौक तक लांग मार्च निकाला गया. जहां पर पुन: सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया. बताया जाता है कि फेडरेशन की ओर से भविष्य की सूचनाएं आने तक इसी तरह से हड़ताल जारी रहेगी. प्रशासन द्वारा निकाले गए पत्र पर कर्मचारियों का मानना था कि सरकार का दबाव है. प्रशासन तो सरकार के आदेशों का पालन करेगी लेकिन अब हमें अपना अधिकार चाहिए जिसके लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार है. लांग मार्च का नेतृत्व सुरेन्द्र टिंगने, रंजन नलोडे, दत्ता डहाके, प्रवीण तंत्रपाडे, संजय मोहरे, धर्मदास मेश्राम, बाबा श्रीखंडे, भीमराव मेश्राम, बलीराम शेंडे, ईश्वर मेश्राम, मिलिंद चकोले, हेमराज शिंदेकर, योगेश नागे, संजय शिंगने आदि ने किया.