Supreme Court
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    नागपुर. सुप्रीम कोर्ट आखिरकार नेत्रहीन मतदाताओं से जुड़े अधिकारों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. उसने निर्वाचन आयोग तथा कानून मंत्रालय को नोटिस जारी कर अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी. 

    महाराष्ट्र के आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. अक्षय बाजड ने नेत्रहीन मतदाताओं की आम चुनावों में प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. उनका कहना है कि दृष्टिहीन मतदाता किसी साथी की सहायता से चुनाव में मतदान करता है जो कि गुप्त और स्वतंत्र मतदान नहीं माना जा सकता है. ईवीएम के माध्यम से मतदान की वर्तमान प्रणाली में यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि सहायता करने वाले व्यक्ति ने नेत्रहीन मतदाता द्वारा चुने गए उम्मीदवार को ही वोट डाला है. 

    ITTS डिवाइस लगाने का सुझाव 

    डॉ. बाजड का कहना है कि निर्वाचन आयोग ईवीएम से जुड़े वीवीपैट में इमेज टेक्स्ट टू स्पीच कन्वर्जन (आईटीटीएस) डिवाइस लगाकर नेत्रहीनों की समस्या का समाधान कर सकता है. यह डिवाइस टेक्स्ट को ऑडियो में परिवर्तित कर देता है. इस प्रकार वीवीपैट से निकले टेक्स्ट स्लिप को नेत्रहीन व्यक्ति हेडफोन के माध्यम से सुन सकता है. यह तकनीक काफी सस्ती है. चूंकि सभी निर्वाचन क्षेत्रों में नेत्रहीनों मतदाताओं की जानकारी रहती है, इसलिए कुछ ईवीएम मशीनों में ही डिवाइस को जोड़ना होगा. यह सुविधा शुरू होने से देशभर के करीब 50 लाख नेत्रहीनों को फायदा होगा. एक सर्वे के मुताबिक महाराष्ट्र में ही करीब 9 लाख नेत्रहीनों की संख्या है.  

    डेढ़ वर्ष बाद जगी उम्मीद 

    डॉ. अक्षय बाजड ने करीब डेढ़ वर्ष पहले निर्वाचन आयोग को इस मामले में पत्र लिखा था. आयोग की तरफ से जवाब आया कि हम आपके सुझाव पर विचार कर रहे हैं. कई महीनों तक कार्यवाही नहीं होने के बाद उन्होंने दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. करीब 9 महीने बाद यानि 23 सितंबर को जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्न की अदालत ने जनहित याचिका को सुनवाई के योग्य मानते हुए संबंधित पक्ष को नोटिस जारी किया. इस याचिका पर सुनवाई शुरू होने से लाखों नेत्रहीन मतदाताओं में उम्मीद की किरण जगी है.