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    नागपुर. हर समय चुनावी मोड में रहनेवाली भारतीय जनता पार्टी ने अब कांग्रेस को एक झटका दिया है. रविवार को कांग्रेस के कट्टर समर्थक समझे जानेवाले पार्षद नीतीश ग्वालबंशी ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. राजनीतिक जानकारों के अनुसार निकट भविष्य में पुन: पश्चिम नागपुर में कांग्रेस के कुछ पार्षद भाजपा में शामिल हो सकते हैं. इन पार्षदों के पार्टी बदलने से कांग्रेस को मनपा के चुनावों में कितना नुकसान होगा यह तो समय बताएगा लेकिन पश्चिम नागपुर में कांग्रेस के विधायक और शहर कांग्रेस के अध्यक्ष होने के नाते विधायक विकास ठाकरे के लिए यह निश्चित ही परेशानी का सबब है.

    माना जा रहा है कि मनपा में भाजपा की सत्ता होने से पूरे कार्यकाल में कांग्रेस के पार्षदों को विकास निधि नहीं मिली. अत: पश्चिम में इन पार्षदों को विधायक की ओर से निधि उपलब्ध कराई गई. एक ओर विधायक से सहयोग तो दूसरी ओर पूरे कार्यकाल भाजपा की ओर से परेशान किए जाने के बावजूद पार्षद द्वारा पाला बदलना समझ से परे होने की जानकारी सूत्रों ने दी.

    विधानसभा की टिकट का लॉलीपॉप 

    राजनीतिक जानकारों के अनुसार हर समय भाजपा की ओर से अगले चुनाव की तैयारियां चलती रहती है. भले ही चुनाव में लंबा समय बाकी हो लेकिन उसक रणनीति तैयार कर कार्यकर्ताओं को काम पर लगाकर रखा जाता है. यहीं कारण है कि अब मनपा के चुनाव के कोई संकेत नहीं होने के बाद भी इस तरह से दलबल की घटनाएं देखी जा रही है. जानकारों के अनुसार पार्षद नीतीश ग्वालबंशी के कारण ही प्रभाग के अन्य 3 पार्षदों ने जीत हासिल की थी. 50,000 के करीब के 4 सदस्यीय प्रभाग में इतना प्रभाव रखने के कारण भाजपा भविष्य में उसका लाभ उठाना चाहती है.

    नीतीश को पार्षद का टिकट या फिर कांग्रेस में रहकर प्रभाग से चुनकर आने में कोई चुनौती नहीं है. जानकारों के अनुसार पश्चिम से विधानसभा के प्रत्याशी बनाए जाने का लॉलीपॉप दिए जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है. इसी तरह का प्रयोग उत्तर नागपुर में भी किया जा रहा है. हालांकि उत्तर नागपुर में तो भाजपा को सफलता नहीं मिली लेकिन पश्चिम नागपुर में प्रयोग सफल हुआ.

    BJP इच्छुकों की भौंए चढ़ी

    -राजनीतिक जानकारों के अनुसार पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में फिलहाल कांग्रेस का विधायक है. जिससे भाजपा में किसी भी विशेष नेता की विधानसभा के लिए दावेदारी नहीं है. 

    -पश्चिम के कई नेता अभी से अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे थे. यहां तक कि विशेष रूप से पश्चिम का एक बड़ा हिस्सा हिन्दी भाषी होने से कई हिन्दी भाषी भविष्य के चुनाव में इसी बल पर टिकट की मांग उठा रहे थे. 

    -अब अचानक कांग्रेस से आयात हुए पार्षद नीतीश ग्वालबंशी का केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और विधानसभा के विरोधी पक्ष नेता देवेन्द्र फडणवीस की उपस्थिति में पार्टी प्रवेश होने से कई इच्छुकों के भौंए चढ़ गई है. 

    -जानकारों के अनुसार नीतीश को पश्चिम नागपुर में विधायक ठाकरे का कट्टर समर्थक माना जाता था. इसके बावजूद उसका भाजपा में प्रवेश, किसी बड़े आश्वासन के बिना यह घटना होना, किसी के गले से नहीं उतर रही है.

    मनपा के ‘गड्ढे’ भरने की तैयारी

    जानकारों के अनुसार मनपा में 108 पार्षदों का बल रखने तथा 15 वर्षों से सत्ता पर रहने के बाद कई पार्षदों के प्रति जनता में रोष देखा जा रहा है. भाजपा द्वारा किए गए सर्वे में इसका खुलासा होने के बाद भविष्य में सत्ता पाने के लिए मनपा के इन ‘गड्ढों’ को भरने की तैयारी की जा रही है. विशेष रूप से भाजपा को उत्तर नागपुर और पश्चिम नागपुर में बड़ा नुकसान होने का सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ है. यहीं कारण है कि इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षदों को भाजपा में शामिल कराने की कवायद की जा रही है. भाजपा शहर अध्यक्ष प्रवीण दटके, दयाशंकर तिवारी, सुधाकर देशमुख, संजय बंगाले, संदीप जोशी, सुनील मित्रा, विनोद कन्हेरे, आसीफ खान, शिवा जुनेजा, जयहरी ठाकुर, मुन्ना छांगानी, विजय शर्मा, जीतेन्द्र यादव, राजकुमार शाहू, योगेन्द्र बदानी, मनोज मदने, अजय देशमुख, कपीलसिंह, अजय अग्रवाल, आशीष पांडे, प्रशांत मेंढे, पराग लाडे, चंदु लाडे, नूर खान, रिजवान पटेल आदि उपस्थित थे. 

    स्वयं का भविष्य तय करने की स्वतंत्रता

    आमतौर पर चुनाव करीब दिखाई देने के बाद इस तरह की दलबल की घटनाएं होती रहती है. गत समय भाजपा से वरिष्ठ पार्षद छोटू भोयर और सतीश होले ने कांग्रेस में प्रवेश किया. स्वयं के राजनीतिक भविष्य को तय करने की सभी को स्वतंत्रता है. यदि कांग्रेस से अधिक भाजपा में कुछ मिलेगा, इसी आशा में जाने का निर्णय लिया गया हो सकता है. 

    -विकास ठाकरे, अध्यक्ष, शहर कांग्रेस कमेटी.