नागपुर. धनिष्ठा नक्षत्र और शोभन जैसे शुभ योगों के बीच आज 22 अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाएगा.इसी दिन श्रावणी उपाकर्म भी होंगे. यह त्योहार हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं (जिसे हम राखी कहते हैं) और उनके सुखी जीवन की कामना करती हैं. हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधकर अपना भाई बनाया था.
कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के चलते शहर में सामूहिक रूप से रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाएगा. ज्यादातर सामाजिक संस्थाएं सीमित दायरे में रक्षाबंधन का त्योहार सेलिब्रेट करेंगी. कोई अनाथालय जाएगा तो कोई वृद्धाश्रम. कुछ सामाजिक संस्थाएं इस दिन अपने भाइयों से व्यसन छोड़ने और उनकी रक्षा का वचन लेंगी. पंडितों के अनुसार इस बार रक्षाबंधन का पर्व पर भद्रा योग नहीं होने से सुबह से ही राखी बंधवाने को लेकर श्रावणी उपकर्म प्रारंभ हो जाएगा.
कई संगठनों के लोगों का कहना हैं कि राखी बंधवाने जो भाई बहनों के घर जाएं, वे मास्क लगाकर ही बाहर निकलें. जिन बहनों के भाई उनके घर नहीं जा सकेंगे, वे बहनें अपने नाम से भगवान गणेश या श्रीकृष्ण की प्रतिमा को राखी बांधकर भाई की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करेंगी.
राखी बांधने का मुहूर्त
- सुबह 9.00 से 10.30 तक( लाभ)
- दोपहर 1.30 से 3.00 तक (अमृत)
- शाम 4.31 से 6.00 तक (शुभ)
- शाम 6.00 से 7.30 तक (शुभ)
- शाम 7.30 से 9.00 तक (अमृत)
राखी बांधने की विधि
- राखी बांधने के लिए भाई को पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं. ध्यान रखें राखी बांधते समय भाई के सिर पर एक रुमाल होना चाहिए.
- फिर बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाएं और उस कुछ अक्षत लगाएं. कुछ अक्षत भाई के ऊपर आशीर्वाद के रूप में छींटें.
- घी का दिया जलाकर भाई की आरती उतारें. भाई की दायीं कलाई में राखी बांधते समय ये मंत्र जरूर बोलें बोलें. ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल. इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं.
इस बात का रखें ध्यान
राखी खरीदते या बांधते समय कुछ खास बातें ध्यान में रखनी जरूरी हैं. जाने-अनजाने में बाजार से राखियां लाने में टूट जाती हैं और हम उसे वापस जोड़कर सही कर लेते हैं. अगर कोई राखी खंडित हो जाए तो उसका प्रयोग भाई की कलाई पर नहीं करना चाहिए.
शिव को भी बांधें राखी
रक्षाबंधन का त्योहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है. चूंकि सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और पूर्णिमा इस माह का अंतिम दिन है. इसलिए इस दिन भगवान शिव को राखी बांधने से वे बहुत प्रसन्न होते है और उनकी मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं.