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  • अतिवृष्टि होने पर चुनाव कार्यक्रम में परिवर्तन : आयोग

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नागपुर. मनपा चुनावों को लेकर भले ही असमंजस की स्थिति दिखाई दे रही हो लेकिन राज्य चुनाव आयोग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए हलफनामा के अनुसार नागपुर महानगर पालिका के चुनाव जून-जुलाई में होने के संकेत हैं. स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने 2 सप्ताह के भीतर चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ाने के आदेश राज्य चुनाव आयोग को दिए थे.

सुको के आदेश के अनुसार आयोग की ओर से प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए प्रभाग रचना की अंतिम घोषणा कर दी गई. एक ओर नोटिफिकेशन जारी किया तो दूसरी ओर बारिश में चुनाव संभव नहीं होने की दलील देते हुए सुको में हलफनामा दायर किया गया. अक्टूबर के बाद चुनाव संभव होने की जानकारी हलफनामा में दी गई थी.

सुको का कड़ा रुख, नरम पड़ा आयोग

राज्य चुनाव आयोग की ओर से हलफनामा दायर किए जाने के बाद बारिश में चुनाव संभव क्यों नहीं है, इसका जवाब देने के निर्देश सुको ने दिए थे. सुको के कड़े रुख को देखते हुए गुरुवार को राज्य चुनाव आयोग की ओर से दायर हलफनामे में अतिवृष्टि होने पर संबंधित क्षेत्र में चुनाव कार्यक्रम में परिवर्तन करने की मंशा जताई गई है.

राज्य चुनाव आयोग की इस दलील को देखते हुए कम से कम नागपुर महानगर पालिका के चुनाव जून या जुलाई में हो सकेंगे. राजनीतिक जानकारों के अनुसार आम तौर पर मृग नक्षत्र लगने के बाद कुछ दिनों तक सिटी में बारिश का उतना जोर नहीं होता है. वास्तविक रूप में अगस्त से नियमित बारिश बनी रहती है जो अक्टूबर तक चलती रहती है. ऐसे में राज्य चुनाव आयोग के हलफनामे के अनुसार यदि जुलाई तक चुनाव नहीं कराए गए तो अक्टूबर के बाद ही चुनाव संभव हो सकेंगे.

ओबीसी आरक्षण का फिर मसला

सर्वोच्च न्यायालय की ओर से महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना कराने के स्पष्ट आदेश राज्य चुनाव आयोग को दिए गए हैं. यह आदेश देने के 10 दिनों के भीतर ही अब सुको की ओर से मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है. केवल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होने की शर्त रखी गई है. अब मध्य प्रदेश को स्वतंत्रता मिलने के कारण राज्य सरकार की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर होने की संभावना जताई जा रही है.

मध्य प्रदेश की तर्ज पर ही महाराष्ट्र को छूट देने की मांग होने की जानकारी सूत्रों ने दी. यदि पुनर्विचार याचिका दायर होने से पहले राज्य चुनाव आयोग की ओर से कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गई तो फिर ओबीसी आरक्षण का मसला आ सकता है अन्यथा सिटी में ओबीसी आरक्षण के बिना ही चुनाव होने की संभावना सूत्रों ने दी.