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    नागपुर. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद अचानक महानगरपालिकाओं के चुनाव को लेकर अब नई सरकार ने पुराने फैसले पर यू-टर्न ले लिया है. इससे पूरी चुनाव प्रक्रिया ही पेंच में फंस गई है जिससे अब मनपा चुनाव अक्टूबर में दीपावली के बाद ही होने की संभावना सूत्रों ने जताई है. उल्लेखनीय है कि कैबिनेट की बैठक में महानगरपालिका के चुनाव के लिए केवल जनसंख्या का नया फॉर्मूला सुझाया गया है. इसी फॉर्मूले के आधार पर राज्य चुनाव आयोग को प्रक्रिया पूरी करनी होगी जिसकी शुरुआत ही प्रभाग रचना तथा प्रभागों के सीमांकन से होगी.

    कैबिनेट की बैठक में हुए फैसले में कहीं भी 4 सदस्यीय प्रभाग रचना करने का उल्लेख नहीं किया गया है लेकिन जनसंख्या का नया फॉर्मूला देना, अपने आप में नई प्रक्रिया लादने के संकेत होने की जानकारी सूत्रों ने दी. यही कारण है कि अब नागपुर महानगरपालिका में 3 की बजाय 4 सदस्यीय प्रभाग रचना होने का अनुमान है.

    सुको के आदेश से कैसे निपटेगा आयोग

    जानकारों के अनुसार एक ओर जहां महानगरपालिका के चुनाव के लिए नया फॉर्मूला दिया गया, वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने लंबित स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर पहले ही आदेश पारित कर रखे हैं. न्यायपालिका के आदेशों के अनुसार राज्य चुनाव आयोग ने प्रक्रिया को आगे बढ़ाया था. हालांकि देरी से ही सही, लेकिन ओबीसी आरक्षण को भी हरी झंडी मिलने के बाद इसका आरक्षण भी निर्धारित हो गया. अब राज्य चुनाव आयोग द्वारा फिर से शांति बरती जा रही है जिसके कई कयास लगाए जा रहे हैं. यही कारण है कि न्यायपालिका के पहले से आदेश तथा अब विधायिका द्वारा लिए गए नये फैसले के बाद आयोग सुको के आदेश से कैसे निपटेगा? इस पर सभी की नजरें लगी हुई हैं. विधि के जानकारों के अनुसार चूंकि सुको ने पहले ही आदेश पारित कर दिए हैं और इसके अनुसार चुनाव आयोग की प्रक्रिया भी काफी आगे बढ़ी हुई है. अत: यदि नये सिरे से प्रक्रिया शुरू की जाती है तो आयोग को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इसका जवाब भी देना होगा.

    कहीं खुशी, कहीं गम

    -महानगरपालिका के चुनाव को लेकर कई तरह के पेंच फंसे हुए हैं. इसके विपरीत सरकार के नये फैसले के कारण राजनीतिक हलकों में कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल है. 

    -हाल ही में ओबीसी आरक्षण के बाद कुछ प्रभागों में ओबीसी वर्ग के ही पुरुष वर्ग के लिए सीट रिक्त नहीं थी जिससे उनका राजनीतिक भविष्य दांव पर लग गया था. प्रभाग में सर्वसाधारण पुरुष वर्ग के लिए भी सीट नहीं थी. 

    -इससे उनके लिए प्रभाग में लड़ पाना संभव नहीं हो रहा था. ऐसे में ही प्रभाग रचना की अंतिम घोषणा से पहले अब 4 का प्रभाग होने के संकेत मिलते ही इन लोगों में खुशी का माहौल हो गया. 

    -4 का प्रभाग होने पर किसी न किसी सीट पर लड़ने का मौका मिलने से राहत की सांस ले रहे है, जबकि ओबीसी आरक्षण के समीकरणों के बाद सीट की दावेदारी पुख्ता होने वाले संभावित प्रत्याशियों में फिर एक बार मायूसी छा गई है. 

    इस तरह से बदलेगी सदस्य संख्या

    जनसंख्या न्यूनतम अधिकतम सीट

    3 से 6 लाख 65 85

    6 से 12 लाख 85 115

    12 से 24 लाख 115 151

    24 से 30 लाख 151 161

    30 लाख से अधिक 161 175