कार्यालयों के साथ ही घरों में लगे सोलर

  • कम होगी थर्मल पावर पर निर्भरता

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नागपुर. राज्य में हर दिन लगभग जितनी बिजली लगती है उसका लगभग 40 प्रतिशत निजी कंपनियों से खरीदना पड़ रहा है. राज्य में थर्मल बिजली उत्पादन 4932 मेगावाट है. 5100 मेगावाट बिजली केन्द्र से मिलती है. हाइड्रो और गैस प्रोजेक्ट से करीब 1130 मेगावाट बिजली का उत्पादन राज्य में है. यदि राज्य में सोलर एनर्जी का उत्पादन बढ़ाया जाए तो थर्मल पर निर्भरता काफी हद तक कम की जा सकती है साथ ही बाहर से बिजली कम खरीदरी पड़ेगी.

तात्कालीन ऊर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इसके लिए सोलर ऊर्जा उत्पादन की योजना को तेजी से मूर्त रूप देने की बात कही थी. इसके लिए सभी सरकारी कार्यालयों में सोलर पैनल लगाने किसी भी बड़े निवासी संकुल व व्यापारिक संकुल में सोलर पैनल की अनिवार्यता पर भी विचार की बात चल रही थी.

सरकारी कार्यालयों से तो सोलर पैनल के लिए प्रस्ताव तैयार करने को भी कहा गया था लेकिन जानकारी के अनुसार अब तक नहीं के बराबर सरकारी कार्यालय ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है. यदि दूसरे राज्यों व निजी कंपनियों पर बिजली की निर्भरता को कम करना है तो इस बजट में ही सरकार को सोलर एनर्जी योजना को कम से कम सभी सरकारी कार्यालयों में अमल में लाने की जरूरत है. अब राज्य में सत्ता बदल गई है.

ऊर्जामंत्री नितिन राऊत भी सोलर उर्जा निर्माण पर अधिक जोर दे रहे हैं. उन्होंने सारे कृषिपंपों को तेजी से सोलर पर लाने के निर्देश दिये हैं लेकिन अगर सारे सरकारी कार्यालयों के साथ ही नये निर्माण होने वाले घरों में भी सोलर को अनिवार्य किया जाए तो थर्मल पावर पर निर्भरता कम होगी और नागरिकों को भी सस्ते में बिजली उपलब्द होगी.

1 किवा. की लागत 70000 रुपये

महावितरण के अधिकारी के अनुसार यदि किसी छोटे से घर में सोलर ऊर्जा पैनल लगाना है तो उसके लिए 1 किलोवाट का पैनल लगाना होगा जिसकी लागत 70000 रुपये के करीब आएगी. टू बीएचके फ्लैट के लिए 2 से ढाई किवा लगेगा जिसकी लागत 2 से ढाई लाख रुपये आएगी. यदि किसी सरकारी दफ्तर में सोलर पैनल लगाने हैं तो इसका खर्च 10-20 लाख या कुछ करोड़ रुपये भी आ सकता है. कितनी बिजली की खपत है उसके आधार पर लागत तय होगी. लेकिन यह भी सच है कि सरकारी कार्यालयों में यदि सोलर ऊर्जा सिस्टम लगाये गये तो काफी थर्मल पावर बचेगी. सोलर ऊर्जा सिस्टम के लिए एक बार लगात लगाने के बाद कार्यालयों को हजारों या लाखों रुपये का बिजली बिल नहीं भरना पड़ेगा.

सरकार ने गंभीरता से लिया

एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो ऊर्जा मंत्री सहित सरकार ने सोलर ऊर्जा प्रोजेक्ट को गंभीरता से लिया है. नितिन राऊत खुद इस प्रोजेक्ट पर गंभीर हैं. भविष्य की बिजली सोलर एनर्जी पर ही धीरे-धीरे शिफ्ट की गई तो थर्मल पर दबाव कम होगा. साथ ही कोयला जलने व उससे उत्पन्न होने वाले राख के प्रदूषण भी कम होगा. उनका कहना है कि सरकार को सरकारी कार्यालयों में अनिवार्य रूप से सोलर एनर्जी प्लांट के लिए  बजट में निधि का प्रावधान करना चाहिए. पहले सरकारी कार्यालय और फिर बाद में सभी बड़े फ्लैटस्कीम, व्यापारिक संकुलों में सोलर पैनल अनिवार्य होना चाहिए. निजी सेक्टर में सोलर प्लांट के लिए सरकारी अनुदान योजना को भी बढ़ावा देने की भी जरूरत है.