नागपुर. 10वीं और 12वीं बोर्ड के एग्जाम का यह समय ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के लिए चुनौती भरा रहता है. सबसे ज्यादा दिक्कत होती है परीक्षा सेंटर तक पहुंचने की क्योंकि आवागमन के साधन सीमित हैं. जिन अभिभावकों के पास खुद के निजी वाहन हैं उनके बच्चे तो समय से परीक्षा हॉल में पहुंच जाते हैं लेकिन उन लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है जो आने-जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करते हैं.
एसटी बसों को ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की लाइफ लाइन कहा जाता है लेकिन जैसे जैसे बसों की संख्या कम हुई है वैसे वैसे ग्रामीणों की दिक्कतें भी बढ़ी हैं. एसटी अधिकारियों की मानें तो वे अपने स्तर पर हर साल ग्रामीण क्षेत्रों में बसों की फेरियां बढ़ाते हैं. इस बार भी फेरियां बढ़ाई जा रही हैं ताकि कोई भी छात्र परीक्षा से वंचित न रहे.
मौके का उठाते हैं फायदा
ग्रामीण रूटों पर चलने वाले अधिकतर वाहन मालिक लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं. चाहे कोई त्योहार हो या परीक्षाओं का समय. वे अपने हिसाब से रेट तय करते हैं. इसी कारण ज्यादातर लोग एसटी बसों से सफर करना पसंद करते हैं. हालांकि काफी समय से एसटी के खेमे में नई बसें शामिल न होने के कारण रूटों की संख्या कम हुई है लेकिन आशा की जा रही है कि इस साल कुछ नई बसें एसटी के खेमे में शामिल होंगी जिससे लोग आसानी से बिना किसी रुकावट के यात्रा कर सकेंगे.
हम प्लानिंग कर रहे हैं
बोर्ड परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों को आवागमन में किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए एसटी बसों की फेरियां बढ़ाने हमने प्लानिंग की है.
– श्रीकांत गमने, विभागीय नियंत्रक, ST महामंडल.