नागपुर. देश में जहां डिजिटल पेमेंट तेजी से पैर पसार रहा है. वहीं प्रदेश की एसटी बसों में यात्रा करने वाले लाखों लोग इस सुविधा से वंचित हैं. हालात यह हैं कि एसटी बसों में यात्रा करने के लिए लोगों को कैश ले जाना होता है. अगर चिल्लर नहीं है तो कई बार टिकट कंडेक्टर से बहस भी हो जाती है. प्रबंधन के पास इस तरह की शिकायतें भी पहुंची हैं लेकिन इसका कोई स्थाई समाधान अभी तक नहीं खोज पाया है. सूत्रों का कहना है कि व्यवस्थाएं बहाल न हो पाने का प्रबंधन के पास एक ही बहाना है. उसका कहना है कि अभी प्रबंधन घाटे में चल रहा है.
उल्लेखनीय है कि एसटी यात्रियों को कैशलेस सुविधा देने के लिए एसटी महामंडल ने राज्य के कई बस डिपो को एंड्राइड मशीनें उपलब्ध कराई हैं लेकिन नागपुर जिले की बस डिपो को इससे दूर रखा है. सूत्रों की मानें तो नागपुर जिले के लिए भी एंड्राइड मशीनों का कोटा तय किया गया था लेकिन वह कहां गया इसके बारे में किसी अधिकारी को जानकारी नहीं है. वहीं कुछ कर्मचारी नेता इसमें हेरफेर का आरोप भी लगा रहे हैं. फिलहाल प्रबंधन इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है. इधर यात्री कैश भुगतान देकर परेशान हैं. इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत चिल्लर को लेकर आती है.आए दिन इसको लेकर विवाद भी होते हैं लेकिन फिलहाल इस मामले पर कोई बोलने के लिए तैयार नहीं है.
चिल्लर बनी मुसीबत
इस डिजिटल युग में लोग अब कैश साथ में रखना पसंद नहीं कर रहे हैं क्योंकि इसमें उनको झंझट ज्यादा लगता है. वे शॉपिंग हो या यात्रा डिजिटल तरीके से ही पैसे का ट्रांसफर करना पसंद कर रहे हैं लेकिन एसटी महामंडल के साथ ऐसा नहीं है. वो सिर्फ डिजिटल बनने की बात जरूर करता है लेकिन उस प्लान को हकीकत का रूप नहीं दे पा रहा है. अभी बीते दिनों सीएम के साथ हुई समीक्षा बैठक में भी एसटी की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए खूब मंथन हुआ लेकिन उसका नतीजा कुछ नहीं निकला है. फिलहाल यात्री आगामी साल में इस व्यवस्था के शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं.