Nagpur ST Bus Stand
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    नागपुर. सिटी में करोड़ों के अनेक बड़े-बड़े प्रोजेक्ट साकार किये गए हैं और कुछ साकार हो रहे हैं लेकिन यहां के एसटी स्टैंड गणेशपेठ की किस्मत नहीं बदल रही है. कई बार इसे एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करने का दावा नेताओं द्वारा किया गया लेकिन दावा अभी तक तो खोखला ही नजर आ रहा है. हालत यह है कि तत्कालीन भाजपा सरकार के समय में नवीनीकरण और कुछ एक्सटेंशन वर्क के लिए 4 करोड़ रुपये मंजूर किये गए थे. कार्य शुरू भी किया गया था लेकिन आधा-अधूरा लटका दिया गया.

    अधिकारियों का कहना है कि निधि नहीं मिलने के कारण कार्य अटका हुआ है. 2 वर्ष तो कोरोना काल के चलते कार्य रुक गए और फिर एसटी कर्मचारियों की हड़ताल शुरू हो गई थी जिससे मंडल को भी करोड़ों का नुकसान हुआ. मविआ सरकार के कार्यकाल में फंड नहीं मिला जिसका बड़ा कारण कोरोना भी था. तत्कालीन सरकार से जो निधि मिली थी वह खर्च हो चुकी है. अब नई सरकार से निधि मिलने की उम्मीद है लेकिन उसमें भी समय लग सकता है. हालत यह है कि जिस अंतरराज्यीय एसटी स्टैंड से रोज ही सैकड़ों फेरियां बसों की लग रही हैं और हजारों यात्रियों का आना-जाना हो वहां सुविधा के नाम पर कुछ खास नहीं है. 

    आधा-अधूरा लटका है काम

    यहां स्टैंड के विस्तारीकरण का कार्य शुरू किया गया था लेकिन हालत यह है कि एसटी स्टैंड की मुख्य इमारत के दाहिने साइड में एक्सटेंशन के लिए जो ढांचा तैयार किया गया वह लंबे अर्से से लटका हुआ है. पिलर और छत का काम भी हो गया है लेकिन उसके बाद काम रुक गया है. दाहिने साइड में ही जहां से बसें निकलती हैं वहां एक बड़ा शेड तैयार किया गया है.

    इसका भी लोहे का ढांचा पूरी तरह तैयार है और केवल शीट्स लगाना बाकी है लेकिन एसटी प्रबंधन के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह तैयार शेड में शीट्स लगा सके. यहां से करीब बसों की 1000 फेरियां लगती हैं और हजारों की संख्या में यात्रियों की रेलमपेल लगी हुई होती है. बस स्टैंड में लोगों को बैठने और विद्यमान शेड के भीतर खड़े होने तक की जगह नहीं मिलती है. मजबूरी में गर्मी व बारिश के दिनों में भी बाहर खड़ा होना पड़ता है. नया शेड यात्रियों की सुविधा के लिए ही तैयार किया जा रहा था लेकिन वह भी निधि के अभाव में लटक गया है. 

    एयरपोर्ट की तरह बनाने का सपना

    यहां नेताओं ने एयरपोर्ट की तरह ही अत्याधुनिक व सर्व सुविधायुक्त बस पोर्ट बनाने का सपना नागरिकों को दिखाया लेकिन आज जो बस स्टैंड की हालत है वह किसी अच्छे बस स्टैंड की तरह भी नहीं है. यहां जमीन की कमी भी नहीं है. बस स्टैंड के ठीक पीछे डिपो की काफी बड़ी जमीन है. अगर डिपो को किसी दूसरी जगह शिफ्ट कर बस स्टैंड का विस्तार किया जाए तो यहां मध्य भारत का सबसे अच्छा बस स्टैंड साकार हो सकता है.

    पहले तो यह भी कहा गया था कि बेंगलुरु की तर्ज पर बस स्टैंड तैयार किया जाएगा लेकिन नेताओं और अधिकारियों की इच्छाशक्ति के अभाव में जो तैयार है उसे भी सुविधायुक्त नहीं बनाया जा सका. कुछ नागरिकों का कहना है कि बड़े-बड़े ओवरब्रिज, इमारतें खड़ी की जा रही हैं. स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में काम चल रहा है लेकिन 30 लाख की जनसंख्या वाली इस सिटी में बस स्टैंड की हालत ठीक नहीं है. पड़ोसी राज्य रायपुर में तो बेहद आलीशान व अत्याधुनिक, नियोजनबद्ध बस स्टैंड साकार भी कर लिया गया है.