Nagpur ST Bus Stand
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  • अभी कितने दिन चलेगी हड़ताल किसी को नहीं पता

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नागपुर. अब तक की सबसे लंबी चलने वाली एसटी हड़ताल का नुकसान न सिर्फ बस स्टाफ को भुगतना पड़ा बल्कि बस स्टैंड के आसपास कई छोटे व्यापारियों का रोजगार छिन गया. उनका रोजगार एसटी बस स्टैंड आने वाले यात्रियों के ऊपर निर्भर करता था. ये खाने पीने की चीजें बेचकर अपना परिवार चलाते थे लेकिन अब बस स्टैंड परिसर में पसरा सन्नाटा उनकी उम्मीदें तोड़ रहा है. वे चाहते हैं कि यह हड़ताल खत्म हों और फिर अच्छे दिन आएं. हालांकि इन छोटे व्यापारियों की तरह एसटी कर्मचारी भी चाहते हैं कि यह हड़ताल जल्द खत्म हों. लेकिन सरकार से सहमति न बन पाने के कारण हड़ताल कब खत्म होगी. इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है.

फिलहाल एसटी कर्मचारी अपने पूरे जोश के साथ हड़ताल पर डटे हुए हैं. उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनका हक उनको देगी. उनकी सुनवाई होगी. इधर सरकार के अधिकारी भी दावा कर रहे हैं कि अब तक जो फैसले लिए गए हैं वे कर्मचारियों के अच्छे भविष्य को ध्यान में रखकर ही लिए गए हैं. उनको इस बात का दुख है कि कर्मचारी उनकी मंशा को समझ नहीं पा रहे हैं. दोनों के बीच चल रहे इस शीतयुद्ध को 50 से अधिक दिन बीत चुके हैं. मामला एक ही जगह पर अटका है. 

मुंबई समर्थन देने जा रहे कर्मचारी 

शहर से प्रतिदिन 40 से 50 लोगों का एक गुट मुंबई के आजाद मैंदान पर हड़ताल को समर्थन देने के लिए जा रहा है. कर्मचारियों का कहना है कि अभी तक उन्होंने अपने इस अभियान में किसी भी तरह की राजनैतिक सहायता नहीं ली है. भोजन के साथ अन्य खर्च कर्मचारी खुद के बल पर उठा रहे हैं. सभी लोग चंदा करके खर्च की भरपाई कर रहे हैं. वहीं शासन के अधिकारियों का कहना हैं कि फिलहाल हड़ताल को जबरदस्ती लंबा खींचा जा रहा है. शासन ने अपने स्तर पर कर्मचारियों के हित में अच्छे निर्णय किए हैं, जिनके बारे में उनको सोचना चाहिए.

अवैध वसूली से परेशान है लोग

ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन का मुख्य साधन एसटी बसें हैं, जो कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बंद पड़ी हैं. इनकी जगह जो निजी वाहन चलाए जा रहे हैं वे दोगुना किराया वसूल कर रहे हैं. आम आदमी भी वसूली की शिकायतें करते-करते परेशान हो चुका है लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है. सबसे ज्यादा दिक्कत में गांव देहातों के वे छोटे-छोटे दूकानदार हैं जिनकी दूकान का सामान इन एसटी बसों के माध्यम से ही गांव तक पहुंचता था. अब उन्हें अपने सामान के लिए अलग से वाहन करना पड़ रहा है. जिसमें उन्हें पहले से अधिक दाम चुकाने पड़ रहे हैं.