Nagpur ST Bus Stand
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  • निजी बसों में ठूंस-ठूंस कर भरे जा रहे यात्री

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नागपुर. विलीनीकरण की मांग को लेकर एसटी कर्मचारियों की हड़ताल छठवें दिन भी जारी रही. आघाड़ी सरकार के विरोध में नारेबाजी करते हुए कर्मचारियों ने साफ कर दिया कि जब तक मांगें मान्य नहीं होती, तब तक काम पर वापस नहीं आएंगे. कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार मांगों पर विचार करने की बजाय हड़ताल को और आगे बढ़ाना चाहती है. कर्मचारियों को निलंबित किये जाने से वे डरने वाले नहीं है. नागपुर मंडल में अब तक 94 कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई की जा चुकी है.

गणेशपेठ, इमामवाड़ा, घाट रोड में एसटी कर्मचारियों का आंदोलन जारी है. इस बीच शुक्रवार को सरकार द्वारा किसी भी कर्मचारी के निलंबन की कार्रवाई नहीं की गई. कर्मचारियों के निलंबन और पर्यायी व्यवस्था की दिशा में सरकार द्वारा बढ़ाए जा रहे कदम का कर्मचारियों ने विरोध किया है. उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि यदि ठेकेदारी पद्धति पर कर्मचारियों को रखा गया तो वे सड़कों पर एक भी बस नहीं चलने देंगे.

किसान, छात्रों की बढ़ीं मुसीबतें 

एसटी कर्मचारियों की हड़ताल से यात्रियों की मुसीबतें दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. स्थिति यह है कि ग्रामीण भागों में चलने वाली प्राइवेट बसें और काली-पीली टैक्सी तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाकर चलाई जा रह है. काली-पीली में यात्रियों को बैठाया नहीं जा रहा है बल्कि ठूंसा जा रहा है. आम आदमी की मुसीबतें बढ़ गई है. ग्रामीण भागों में साप्ताहिक बाजारों में अपनी सब्जी-भाजी लेकर जाने वाले किसान भी मुंह ताक रहे हैं.

गुरुवार से स्कूल-कॉलेज शुरू हो गये हैं लेकिन एसटी बंद रहने से ग्रामीण भागों के छात्र पहुंच नहीं पा रहे हैं. कोरोना के कारण पहले ही स्कूल-कॉलेज देरी से शुरू हुये थे. अब एसटी की हड़ताल ने छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान निर्माण कर दिया है. इस बीच भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने आरोप लगाया कि कर्मचारियों की मांगों पर समाधान खोजने में महाविकास आघाड़ी सरकार फेल हो गई है. भाजपा ने एसटी हड़ताल को अपना समर्थन दिया है. कर्मचारियों को हड़ताल का अधिकार है, इसके बाद भी सरकार द्वारा उन्हें निलंबित किया जा रहा है जो कि अनुचित है. सरकार की दोषपूर्ण नीतियों की वजह से ही कर्मचारियों को आत्महत्या करना पड़ रहा है.