Nagpur High Court
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    नागपुर. बिना अनुमति स्कूल शुरू किए जाने को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. इसे लेकर अब सिख एजुकेशन सोसाइटी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने संस्था की इस तरह की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई.

    सुनवाई के दौरान अदालत की नाराजगी को देखते हुए याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की स्वतंत्रता देने का अनुरोध किया जिसे स्वीकार तो किया गया, साथ ही स्कूल को मंजूरी के लिए पुणे स्थित शिक्षा संचालक तथा नागपुर विभागीय उपसंचालक के पास आवेदन करने के आदेश भी याचिकाकर्ता को दिए. याचिकाकर्ता की अधि. नीतेश समुद्रे और सरकार की सहायक सरकारी वकील एसएस जाचक ने पैरवी की.

    जोखिम में डाल दिया छात्रों का करिअर

    सोमवार को सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि शिक्षा विभाग के संचालक तथा उपसंचालक की अनुमति के बिना स्कूल शुरू कर याचिकाकर्ता ने गंभीर अनियमितता की है. इस तरह से याचिकाकर्ता ने स्कूल में प्रवेश ले चुके छात्रों का करिअर जोखिम में डाल दिया. न केवल छात्रों का करिअर खतरे में आ गया बल्कि इन छात्रों को पढ़ा रहे उनके पालकों का भी वित्तीय नुकसान हो गया है. अदालत ने आदेश में कहा कि ऐसे मामले में कम से कम यह आशा की जा सकती है कि स्कूल को मंजूरी प्राप्त करने के लिए संस्था को ठोस कदम उठाए जाने चाहिए. वित्तीय सहायता के तहत स्वयं स्कूल का संचालन करने के लिए अथॉरिटी से मंजूरी प्राप्त की जानी चाहिए थी.

    नहीं किया कोई प्रयास 

    अदालत ने आदेश में कहा कि स्कूल शुरू करने के लिए याचिकाकर्ता ने तमाम प्रयास करने चाहिए थे किंतु ऐसा करने की बजाय उन्होंने बिना अनुमति स्कूल ही शुरू कर दिया. गत समय जो भी हो चूक हुई हो लेकिन कम से कम अब तो याचिकाकर्ता ने शिक्षा संचालक और उपसंचालक के पास जाकर स्कूल शुरू करने के लिए अनुमति मांगनी चाहिए. 20 सितंबर 2022 को जारी कारण बताओ नोटिस का पालन करते हुए यह किया जाना चाहिए. अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति तो दी किंतु कारण बताओ नोटिस का पालन करने के भी आदेश दिए.