nmc

    Loading

    नागपुर. मनपा में हुए स्टेशनरी घोटाले को लेकर जिला सत्र न्यायालय ने 2 दिन पहले ही मामले में आरोपी बनाए गए कर्मचारियों को जमानत देने से इनकार कर दिया. अब जांच समिति को पुख्ता करने के उद्देश्य से गुरुवार को मुख्यालय में हुई समिति की बैठक में सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसपी मुले को सदस्य के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया गया. बताया जाता है कि न्या. मुले ने न केवल मुंबई हाई कोर्ट में रजिस्ट्रार के रूप में सेवाएं दीं बल्कि ग्राहक संरक्षण न्यायालय में भी काम किया है.

    कई जांच में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है जिससे अब स्टेशनरी घोटाले की जांच समिति में उनके शामिल होने से अमूमन जांच के नाम पर होने वाली लीपापोती की संभावना नहीं रहेगी. समिति अध्यक्ष अविनाश ठाकरे, विपक्ष नेता तानाजी वनवे, अधि. संजय बालपांडे, संदीप जाधव, वैशाली नारनवरे, उपायुक्त निर्भय जैन और विधि अधिकारी सूरज पारोचे उपस्थित थे.

    ऑडिटर के नाम पर जल्द फैसला

    मनपा में स्टेशनरी घोटाले पर हुई बहस के बाद महापौर के निर्देशों से जांच समिति का गठन किया गया. निर्देशों के अनुसार जांच समिति को इसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश के अलावा वित्त से संबंधित पूरा मामला होने के कारण एक सदस्य पूर्व ऑडिटर के रूप में लेने को कहा गया था. अब पूर्व न्यायाधीश के नाम पर मुहर लग गई है. इसी तरह विभाग की ओर से समिति के समक्ष 3 ऑडिटर के नामों की सिफारिश की गई है. समिति सदस्य संदीप जाधव को इन तीनों ऑडिटर से चर्चा कर एक नाम पर सहमति बनाने के अधिकार दिए गए. बताया जाता है कि जल्द ही ऑडिटर की नियुक्ति होने के बाद समिति की वास्तविक जांच शुरू हो जाएगी.

    सभी विभागों की जांच करेगी पुलिस

    बताया जाता है कि जांच समिति द्वारा स्वास्थ्य विभाग में उजागर हुए घोटाले के अनुसार ही पुलिस ने अन्य विभागों की भी जांच कराने के लिए पुलिस आयुक्त को पत्र देने का निर्णय लिया था. बताया जाता है कि पुलिस आयुक्त का स्वास्थ्य खराब होने के कारण अब पोस्ट से उन्हें पत्र भेजने का निर्णय लिया गया. साथ ही स्वास्थ्य ठीक होने के बाद समिति के सदस्य प्रत्यक्ष रूप से मिलकर इसका अनुरोध करेंगे.

    गुरुवार को जांच समिति ने सामान्य प्रशासन विभाग को दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए. चूंकि मूल दस्तावेज पुलिस के पास है, अत: उनकी फोटोकापी समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश समिति अध्यक्ष अविनाश ठाकरे ने दिए. उल्लेखनीय है कि प्राथमिक स्तर पर उजागर हुए 67 लाख के घोटाले में 41 में से 39 फाइलें इसी सामान्य प्रशासन विभाग से ई-गवर्नेन्स की गई थीं जिसके बाद बिल अदा किया गया.