Gutter water spreading on the road, matter in front of Nagpur railway station
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    नागपुर: कई वर्षों के बाद आखिर स्टेशन परिसर में बनी इमारतों पर लगे अवैध होर्डिंग्स हटा दिये गये. मंडल प्रशासन और रेलवे सुरक्षा बल के प्रयासों में यूनियनों ने भी साथ दिया. उल्लेखनीय है कि स्टेशन के प्रवेश द्वार के पास ही बनी इमारत यूनियनों के नेताओं द्वारा अपने प्रचार के लिए बड़े-बड़े बैनर और होर्डिंग्स लगा रखे थे.

    इनके लिए न तो मंडल प्रशासन से अनुमति ली गई थी और पुराने होने के बावजूद न ही इन्हें हटाया जा रहा था. ये पूरी तरह अवैध थे. ऐसे में अभी तक यूनियनों के दबाव में किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. लेकिन फरवरी 2021 में मंडल रेल प्रबंधक ऋचा खरे द्वारा मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में लगे अवैध बैनरों को हटाने के निर्देश आरपीएफ को दिये गये. इसके बाद से यूनियनों के अवैध बैनरों और होर्डिंग्स को हटाना एक मुद्दा बन गया. 

    RPF ने दिखाई थी रुचि

    डीआरएम ऑफिस में अवैध बैनर और होर्डिंग्स को हटाने को लेकर आरपीएफ और मंडल के तहत चलने वाली दोनों यूनियनें आमने-सामने आ गई थी. ऑफिस के बाद स्टेशन परिसर में भी कई अवैध बैनर लगे हुए थे. ऐसे में आरपीएफ ने पत्रचार कर स्टेशन परिसर में यूनियनों को बैनर आदि के लिए आवंटित जगह की जानकारी मांगी थी. हालांकि यूनियनों के दबाव में मामला ठंडे बस्ते में चला गया लेकिन कुछ दिन पहले एक बार फिर यह मुद्दा किसी जिन्न के समान पोटली से निकला और मंडल प्रबंधन व आरपीएफ एक्शन में आई.

    यूनियनों को अपने प्रचार और बधाई संदेश वाले बैनरों के लगाने की अनुमति ही नहीं है. ऐसे में यूनियनों को साथ लेकर इस बारे में चर्चा की गई. देर तक चली बातचीत में आखिर यूनियनों भी मान गए और स्टेशन के प्रवेश द्वार से लेकर निकासी द्वार तक अवैध बैनरों और होर्डिंग्स को हटा दिये गये. हालांकि नियमानुसार यूनियनों को कार्यालयों पर नेमबोर्ड लगाने की अनुमति दी गई है. 

    DRM ऑफिस ने भी ली सांस

    ज्ञात हो कि मेन रोड से लगे गेट से प्रवेश करते ही यूनियनों के अवैध बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स अपने नेताओं का प्रचार करते हुए स्वागत करते नजर आते थे. स्टेशन परिसर में समान डीआरएम ऑफिस परिसर में ऐसी ही कार्रवाई की जरूरत थी. इनमें अधिकांश बैनर बधाई संदेश वाले थे. दिवाली, होली और अन्य त्योहार बीतने के बाद भी महीनों तक यूनियनों के ये अवैध बैनर दीवारों पर टंगे नजर आते थे. हाल यह था कि यह मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय कम और यूनियन ऑफिस ज्यादा लगता था.

    हालांकि पिछले 2 दिनों में परिसर से भी काफी अवैध बैनर हटवा दिये और डीआरएम ऑफिस ने भी सांस ली. खास बात है कि मध्य रेल नागपुर मंडल के अलावा दक्षिण-पूर्व-मध्य रेल नागपुर मंडल के कार्यालय की दीवार पर भी ऐसा ही नजारा है. ऐसे में यहां भी अवैध बैनरों को हटा देना चाहिए ताकि मंडल रेल प्रबंधक कार्यालयों की गरिमा बनी रहे. दोनों ही मंडल रेल प्रबंधक हर दिन इसी रास्ते से गुजरते हैं. ऐसे में उन्हें भी इस ओर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए. 

    कार्यालय ही नहीं तो बैनर क्यों

    डीआरएम परिसर से यूनियनों के अवैध बैनरों की संख्या कम की गई है लेकिन इन्हें पूरी तरह से हटाया नहीं गया है. नियम के अनुसार यूनियन केवल अपने कार्यालय पर नेमबोर्ड लगा सकते हैं. जबकि डीआरएफ ऑफिस परिसर में किसी भी यूनियनों का ऑफिस नहीं है. ऐसे में यूनियनों ने स्वयं ही परिसर से सारे बैनर हटाकर नियम का पालन करना चाहिए. ताकि बाकी रेलकर्मियों के सामने आदर्श पेश हो सकें.