
कोंढाली (सं.) महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में एसटी महामंडल की महिला सम्मान योजना लागू की गई. इसके तहत महिलाओं को एसटी बस में सफर करने के लिए टिकट में 50 प्रतिशत की छूट दी गई है. योजना के लागू होते ही संपूर्ण राज्य में एसटी बसें यात्रियों से खचाखच भरी नजर आ रही ही है. इस योजना ने संपूर्ण राज्य में गत कई वर्षों से धड़ल्ले से जारी निजी वाहनों के अवैध यात्री ढुलाई व्यवसाय की कमर ही तोड़ दी है. इस वजह से राज्य में लाखों युवक फिर बेरोजगार होने की कगार पर हैं.
राज्य के उपमुख्यमंत्री तथा वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2023-2024 के बजट में राज्य परिवहन महामंडल की सभी बसों में महिला यात्रियों के लिए महिला सम्मान योजना घोषित की. इसमें संपूर्ण राज्य की सभी बसों में महिलाओं को किराये में 50 प्रतिशद छूट दी गई है. एसटी को किराये की आधी राशि सरकार देगी. इस योजना को 17 मार्च से संपूर्ण राज्य में लागू किया गया. इस कारण सिर्फ 1 दिन में यानी 18 मार्च को राज्य में 11,30,283 महिलाओं ने यात्रा की तथा राज्य परिवहन महामंडल को 5 करोड़ 68 लाख रुपये की आय हुई. इस योजना से नुकसान में चल रहे एसटी महामंडल के फिर अच्छे दिन आने की संभावना नजर आ रही है.
अब तो बैठने की जगह भी नहीं मिलती
शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में निजी ट्रैवल्स बसेस तथा निजी यात्री ढुलाई करने वाले विभिन्न वाहनों के कारण एसटी को भारी नुकसान हो रहा था. शिंदे-फडणवीस की नेतृत्व वाली सरकार ने पहले तो संपूर्ण राज्य में 75 वर्ष के सभी वृद्धों को बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराई और अब महिलाओं को भी एसटी बस के किराये में 50 प्रतिशत की छूट दी गई. 17 मार्च से एसटी की महिला सम्मान योजना शुरू होते ही सभी बसों में महिला यात्रियों की संख्या बढ़ गयी. महिलाओं के साथ यात्रा करने वाले पुरुष तथा बच्चे भी एसटी बस से यात्रा कर रहे हैं. एसटी बस स्टैंड तथा बसें यात्रियों से खचाखच भरी नजर आ रही हैं. नागपुर-अमरावती मार्ग पर कोंढाली एसटी बस स्टैंड पर पुणे, नाशिक, संभाजीनगर, बुलढ़ाना, शेगांव, अकोला, अमरावती के लिए प्रतिदिन लगभग 1,000 एसटी बसों की फेरियां हो रही हैं.
अवैध यात्री ढुलाई व्यवसाय पड़ा ठंडा
कोंढाली से नागपुर, अमरावती, वर्धा, काटोल मार्ग पर कई बेरोजगार युवकों ने अपने घर और खेती बेचकर निजी वाहन लेकर यात्री ढुलाई का व्यवसाय शुरू किया था. इससे संपूर्ण राज्य में लाखों परिवारों की रोजी-रोटी चलती थी. इन युवकों पर अब इस योजना से फिर बेरोजगार होने का खतरा मंडरा रहा है. इन वाहन चालकों ने बताया कि पहले वाहनों की प्रतिदिन 2 से 3 ट्रिप लग जाती थी पर जब से महिलाओं को एसटी बस में टिकट में सहूलियत मिली तब से उनका धंधा ही चौपट हो गया है. अब तो घंटों यात्रियों का इंतजार करना पड़ता है. हालत यह है कि सुबह से दोपहर 2 बजे तक यात्री नहीं मिलने के कारण एक भी ट्रिप नहीं लग रही है. ऐसी हालत में बैंक तथा निजी फाइनेंस से कर्ज लेकर जो वाहन खरीदे हैं, उनकी किस्त कैसे भरें, परिवार का पेट कैसे भरें, यह चिंता निजी वाहन चालकों को सताने लगी है. सरकार रोजगार तो नहीं दे रही है पर जो रोजगार था उसे भी छीन रही है, ऐसा इनका कहना है.