
नागपुर. दरअसल 1998 में जब सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल की शुरुआत की गई तो इसे अस्पताल के साथ ही स्नातकोत्तर संस्था का भी दर्जा दिया गया लेकिन करीब 15 वर्षों तक किसी भी विभाग में स्नातकोत्तर की सीटें नहीं मिलीं. बाद में कार्डियोलॉजी और गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में डीएम की सीटें मिलीं. अब भी 6 विभागों को स्नातकोत्तर सीटों की प्रतीक्षा है. इस बीच नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने यूरोलॉजी विभाग में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए सकारात्मक संकेत दिए हैं. यदि यह जल्द हुआ तो सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल की क्षमता बढ़ेगी. इससे जहां प्रवेश लेने वालों को अवसर मिलेगा वहीं दूसरी ओर मरीजों को भी सुविधा मिलेगी.
वर्तमान में हॉस्पिटल में 8 विभाग कार्यरत हैं लेकिन एजुकेशन इंस्टीट्यूट बनाने का सपना अब भी अधूरा ही है. 25 वर्षों में केवल 2 ही विभागों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू हो सके हैं, जबकि एम्स ने कम समय में ही 4 विभागों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू कर दिया. राज्य सरकार द्वारा आर्थिक मदद में कंजूसी और प्राध्यापकों के पद भरने में बरती जा रही लापरवाही का ही नतीजा है कि सुपर की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है.
2 विभागों में 18 वरिष्ठ निवासी डॉक्टर
फिलहाल सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग में डीएम पाठ्यक्रम की 4 सीटें हैं. वहीं गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में 2 सीटों की मंजूरी है. स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम 3 वर्षों का होता है. यानी कुल 18 वरिष्ठ निवासी डॉक्टर मिलते हैं. अब यूरोलॉजी विभाग में प्राध्यापक, 3 सहायक प्राध्यापक व 3 वरिष्ठ निवासी डॉक्टर होने से एमसीएच की 2 सीटें मिलने की उम्मीद जागी है.
दरअसल यूरोलॉजी विभाग में एमसीएच स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए २०१९ में मेडिकल प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार किया था. विभाग में महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग द्वारा डॉ. सेलूकर की नियुक्ति की गई है. इसके बाद एनएमसी से निरीक्षण कराया गया. पिछले दिनों निरीक्षण के बाद एनएमसी ने समाधान व्यक्त किया. साथ ही एमसीएच पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए हरी झंडी भी दिखा दी. सीटें बढ़ने से प्रवेश लेने वालों को अवसर मिलेगा क्योंकि शासकीय स्तर पर एमसीएच पाठ्यक्रम अधिक नहीं है. वरिष्ठ निवासी डॉक्टर मिलने से मरीजों को भी लाभ मिलता है. यदि सरकार द्वारा अन्य विभागों में भी नियुक्ति की गई तो वहां भी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने का रास्ता साफ हो सकता है.
4 सीटें कार्डियोलॉजी में
2 सीटें गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी में
2 सीटें यूरोलॉजी में मिलेंगी