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    नागपुर. भारतीय रेल आरक्षण के अंतर्गत तत्काल और प्रीमियम तत्काल कोटा योजना लागू कर कई गुना महंगी बेची जाने वाली इन टिकटों की कार्यप्रणाली तथा योजना की वैधता को चुनौती देते हुए अजय माहेश्वरी की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश उर्मिला फालके ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. अजय माहेश्वरी ने स्वयं पैरवी की. याचिका में उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि नागपुर से वर्धा स्लीपर क्लास की टिकट का दाम सामान्य तौर पर 205 रु. का है लेकिन यही टिकट तत्काल में 425 रु. तथा प्रीमियम तत्काल कोटा में 980 रु. में बेची जाती है.

    कानून का नहीं होता पालन

    याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया कि एक ओर जहां इन टिकटों को महंगे दामों पर बेचा जाता है, वहीं दूसरी ओर योजना के अनुसार टिकट देते समय नियमों का पालन नहीं किया जाता है. इस तरह से आम जनता के अधिकारों का हनन हो रहा है. देश के किसी व्यक्ति को अतिआवश्यक कार्य से तुरंत कहीं जाना पड़े तो उसे सुविधा देने के लिए तत्काल टिकट की योजना लाई गई थी. शीघ्र प्रभाव से यात्रा की जरूरत पड़ने पर बेवजह दलालों के चुंगल में फंसकर जनता को कहीं अधिक दाम न चुकाना पड़े, यही उद्देश्य इस तत्काल टिकट के पीछे होने का खुलासा रेल मंत्रालय और रेल विभाग की ओर से कई बार किया गया. 

    30% टिकट पहले ही ब्लॉक

    याचिकाकर्ता ने कहा कि वास्तविक रूप में भारतीय रेलवे की ओर से न केवल शार्ट नोटिस पर यात्रा करने वाले लोगों को बल्कि सामान्य तौर पर यात्रा करने वाले लोगों को भी तत्काल और प्रीमियम तत्काल का टिकट उपलब्ध कराया जा रहा है. रेलवे द्वारा पहले ही 30 प्रतिशत टिकट इस तत्काल योजना के तहत ब्लॉक कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि कोई यात्री काफी दिनों पहले ही टिकट खरीद लेता है. जिसे शार्ट नोटिस की यात्रा नहीं मानी जा सकती है. ऐसे यात्री को कई बार वेटिंग का टिकट मिलता है. बाद में इन्हीं यात्रियों को तत्काल के नाम पर सीट उपलब्ध कराई जाती है. रेलवे द्वारा खुले तौर पर ऊंचे दामों पर तत्काल और प्रीमियम तत्काल टिकट के नाम पर ब्लॉक की गई टिकटों को बेचा जी रही है. इस तरह से योजना के नाम पर खेल चल रहा है.

    तय नहीं मापदंड

    याचिकाकर्ता का मानना है कि रेलवे के पास कई तरह के कोटा उपलब्ध है. प्रत्येक कोटा में उस कोटा के तहत टिकट खरीदने के लिए योग्यता निर्धारित की गई है. रक्षा कोटा, खेल कोटा या विकलांग कोटा जैसे विकल्पों में संबंधित योजना के तहत आने वाले व्यक्ति को ही प्रमाण पत्र के आधार पर टिकट उपलब्ध कराया जाता है. जिसके लिए रेलवे की ओर से कोई भी अतिरिक्त शुल्क भी नहीं लिया जाता है लेकिन तत्काल और प्रीमियम तत्काल की योजना में किसी मापदंड को तय नहीं किया गया है. इन योजना के टिकट उन्हें भी बेची जाती है जो व्यक्ति वास्तविक रूप में शार्ट नोटिस यात्री की परिभाषा में नहीं आता है. इस तरह से जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है.