Nagpur High Court
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    नागपुर. सम्पत्ति कर बकाया होने के कारण भले ही मनपा ने नीलामी प्रक्रिया अपनाई हो लेकिन इसे चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. इस पर सोमवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश उर्मिला जोशी ने याचिका पर अंतिम सुनवाई करने के संकेत देते हुए एक दिन के लिए सुनवाई टाल दी. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता डॉ. शारदा गावंडे पर 4 मार्च 2020 तक मनपा का 59 लाख का सम्पत्ति कर बकाया था जिसकी वसूली के लिए मनपा के जोन-3 के सहायक आयुक्त ने कई बार सम्पत्तिधारक को नोटिस जारी किया. वारंट निकालकर सम्पत्तिधारक को बकाया भरने की अंतिम चेतावनी भी दी गई लेकिन इसे भी दरकिनार करने पर सम्पत्ति की नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई.

    हाई कोर्ट में जमा किए 59 लाख रु.

    उल्लेखनीय है कि 2 वर्ष पूर्व मनपा ने सम्पत्ति की नीलामी कर दी थी. नीलामी के दौरान 2 बोलीधारकों की ओर से अधिकम बोली लगाए जाने के बाद सम्पत्ति उनके नाम की गई. नीलामी में सम्पत्ति चले जाने के कारण याचिकाकर्ता ने तुरंत हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की. यहां तक कि टैक्स के रूप में बकाया मनपा की निधि हाई कोर्ट में जमा करने की इच्छा भी प्रदर्शित की. याचिकाकर्ता द्वारा टैक्स की राशि जमा किए जाने के बाद हाई कोर्ट ने मनपा आयुक्त, जोन-3 के सहायक आयुक्त, टैक्स विभाग के उपायुक्त और बोली में सम्पत्ति खरीदने वाले खरीददारों को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए थे. साथ ही अदालत ने ‘जैसे थे’ के आदेश भी दिए थे.

    सम्पत्ति का हस्तांतरण नहीं

    मनपा द्वारा नीलामी प्रक्रिया पूरी किए जाने के बाद नियमों के अनुसार खरीददारों को सेल सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया. सेल सर्टिफिकेट को ही अंतिम माना गया था. हालांकि सेल सर्टिफिकेट जारी करने से पहले सम्पत्ति की नीलामी को चुनौती देने के मूल मालिक को कई अधिकार हैं. लेकिन याचिकाकर्ता मूल मालिक की ओर से इन विकल्पों की मदद नहीं ली गई. नीलामी प्रक्रिया में अधिकतम बोली लगाए जाने के बाद प्रतिवादी खरीददारों ने 79,84,508 रु. का भुगतान भी मनपा को कर दिया था. लेकिन मनपा ने सम्पत्ति का कब्जा नहीं दिया. याचिकाकर्ता का मानना था कि नीलामी रद्द करने के संदर्भ में पत्र भेजने के कारण नये सिरे से नीलामी की प्रक्रिया करनी चाहिए थी.