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    नागपुर. स्पेशल कोर्ट की ओर से 7/11 सीरियल बम धमाकों के दोषी एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई थी. सीरियल बम धमाकों में जहां 200 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 800 से अधिक लोग बुरी तरह घायल हुए थे. दिसंबर 2016 से उसे नागपुर सेंट्रल जेल की विशेष सेल में रखा जा रहा है. नियमों के अनुसार हाई कोर्ट द्वारा मृत्यु दंड पर मुहर लगाया जाना जरूरी होता है जो वर्तमाम में प्रलंबित है. जिस आदेश के अनुसार उसे नागपुर सेंट्रल जेल भेजा गया, उस आदेश की कापी देने की मांग आरटीआई के तहत की थी. हालांकि जेल प्रशासन की ओर से उसे जानकारी तो उपलब्ध कराई गई लेकिन इस पर आपत्ति उठाते हुए राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष द्वितीय अपील दायर की. जिस पर सुनवाई के बाद आयुक्त राहुल पांडे ने प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी उचित होने का हवाला देते हुए अपील ठुकरा दी. 

    मुंबई हाई कोर्ट में लंबित मामला

    अपीलकर्ता सिद्दीकी का मानना था कि 30 सितंबर 2015 को अतिरिक्त महासंचालक व महानिरीक्षक जेल की ओर से आदेश जारी किया था किंतु 18 दिसंबर 2015 को राज्य सरकार के गृह विभाग ने इसे रद्द कर दिया. नियमों के अनुसार निचली अदालत द्वारा मृत्यु दंड दिए जाने के बाद उस पर हाई कोर्ट की ओर से मुहर लगाना होता है. यह मामला मुंबई हाई कोर्ट में अभी तक लंबित है. जिससे मुंबई सेंट्रल जेल से नागपुर सेंट्रल जेल में हुआ हस्तांतरण अवैध है. वास्तविक रूप में किस आदेश के तहत हस्तांतरण किया गया. इसकी निश्चित जानकारी आरटीआई के तहत सिद्दीकी ने जेल प्रशासन से मांगी थी. आरटीआई के तहत किए गए आवेजन के अनुसार वरिष्ठ जेल अधिकारी ने 23 अक्टूबर 2019 को जानकारी उपलब्ध कराई. 

    VC से आरोपी ने रखा पक्ष

    उल्लेखनीय है कि राज्य सूचना आयुक्त की ओर से ली गई सुनवाई में आरोपी सिद्दीकी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहा. वीसी के माध्यम से उसने अपना पक्ष रखा. आरोपी का मानना था कि उसे निश्चित आदेश की कापी अब तक उपलब्ध नहीं कराई गई. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयुक्त ने आदेश में कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 2अ के अनुसार कोई काम, दस्तावेज या अभिलेख का अवलोकन किया जा सकता है. दस्तावेजों या अभिलेखों के प्रमाणित कापी ले सकते हैं. सामग्री के प्रमाणित नमूने प्राप्त किए जा सकते है. अधिकारों के अनुसार अपीलार्थी को जानकारी उपलब्ध कराई गई है. जिससे अपील खारिज करने के आदेश आयुक्त ने जारी किए.