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नागपुर. पुलिस यदि चाहे तो किसी को भी कहीं से भी ढूंढ निकाल सकती है. इसके उदाहरण पहले भी देखने को मिले हैं. अब नया उदाहरण सामने आया है. 15 वर्ष की आयु में अपने घर से निकली किशोरी को क्राइम ब्रांच के मानव तस्करी (एएचटीयू) विरोधी दस्ते ने 8 वर्ष बाद राजस्थान में ढूंढ निकाला. अब वह शादीशुदा और 3 बच्चों की मां है. मई 2015 में रेखा (नाम काल्पनिक) 8वीं कक्षा में पढ़ती थी.

अचानक मन विचलित हो गया और वह घर से निकल गई. लापता होने पर पिता ने वाड़ी पुलिस स्टेशन में शिकायत की लेकिन कुछ पता नहीं चला. आखिर जांच ठंडे बस्ते में चली गई. वर्ष 2021 में यह प्रकरण एएचटीयू को सौंप दिया गया. माता-पिता ने आस नहीं छोड़ी. वो बस इतना जानना चाहते थे कि बच्ची सकुशल है या नहीं. एएचटीयू की टीम ने जांच शुरू की.

प्राथमिक जांच में उसके झारखंड में होने की संभावना जताई जा रही थी. सारे रिश्तेदार वहीं रहते थे. पुलिस झारखंड के कटकमसंडी गांव में पहुंची. वहां से भी बैरंग लौटना पड़ा. ऐसे में पुलिस ने तकनीकी जांच माध्यमों का उपयोग कर जानकारी इकट्ठा करना शुरू की. रेखा के नाम पर आधार कार्ड भी बनाया गया था. उससे फोन नंबर हासिल किया गया. फोन के जरिए सीडीआर और लोकेशन खंगाला गया. उसके राजस्थान के नागौर जिले में होने का पता चला. तुरंत एक टीम नागौर रवाना हुई. काफी मशक्कत करने के बाद रेखा को ढूंढ ही निकाला. पुलिस घर पहुंची तो रेखा अपने 3 बच्चों के साथ थी. 

ट्रेन से पहुंची पटना, युवक से हुई मुलाकात

पूछताछ में उसने बताया कि घर से निकलकर वह बिहार जाने वाली ट्रेन में सवार हो गई. पटना स्टेशन पर उतरी तो कुछ समझ नहीं आया. इसी दौरान मुकेश घीसाराम गांधी से परिचय हो गया. वह मजदूरी करता था. दोनों एक साथ रहने लगे और विवाह भी कर लिया. अब उसे 3 बच्चे हैं. मुकेश काम की तलाश में नागौर आ गया. अब दोनों अपने 3 बच्चों के साथ रहते हैं.

पुलिस के साथ रेखा के पिता भी राजस्थान गए. पुलिस पति और बच्चों सहित रेखा को नागपुर ले आई है. आगे की जांच के लिए प्रकरण वाड़ी पुलिस को सौंपा गया है. डीसीपी मुमक्का सुदर्शन के मार्गदर्शन में एपीआई रेखा संकपाल, समाधान बजबलकर, पीएसआई लक्ष्मीछाया तांबुसकर, हेड कांस्टेबल ज्ञानेश्वर ढोके, राजेंद्र अटकले, मनीष पराये, सुनील वाकड़े, शरीफ सेख, आरती चौहान, ऋषिकेश डुमरे और पल्लवी वंजारी ने उसे ढूंढने के लिए अथक प्रयास किए.