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  • कैब कंपनियों का अवैध बाइक राइडिंग

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नागपुर. पहले सरकार द्वारा अवैध रूप से प्राइवेट कंपनियों को कैब सर्विस के नाम पर चलने दिया गया. इसे ऑटो चालकों के घरों में खाने के लाले पड़ गये. अब इन्हीं कंपनियों को चुपके से बाइक राइडिंग भी करने दी जा रही है. इससे सिटी के ऑटो चालकों के पास मरने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचेगा. इस शिकायत के साथ विदर्भ ऑटो रिक्शा चालक फेडरेशन अध्यक्ष  विलास भालेकर ने शहर प्रादेशिक परिवहन अधिकारी रविन्द्र भुयार को ज्ञापन सौंपकर कहा कि सरकार ही स्वयं कानून का मखौल उड़ा रही है. 

हमें मारना चाहती है क्या सरकार

भालेकर ने कहा कि आखिर किस कानून के तहत ओला, उबेर जैसी कंपनियों को पहले कैब और अब बाइक राइडिंग की अनुमति दी जा रही है. इसका सीधा नुकसान गरीब ऑटो चालकों पर पड़ रहा है क्योंकि बाइक राइडिंग के कारण उनके हाथ से बचा हुआ रोजगार भी छीन जायेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कुछ वर्षों से परिवहन मंत्रालय और विभाग मिलकर साजिशन ऑटो चालकों का खत्म करने पर तुले है. उन्होंने भुयार से तीखे सवाल किये कि क्या हमें मारना चाहती है सरकार?, क्या सिर्फ ऑटो चालक की कानून के अधीन रहकर, ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए, परिवहन के सभी कागजात लेकर चले और प्राइवेट कम्पनियां सारे नियमों का धता बताते हुए व्यापार करते रहे?, कानून की कुछ गरिमा है या नहीं?, कानून असिस्तव है कि नहीं? 

चुपके से शुरू किया बाइक राइड सिस्टम

उन्होंने कहा कि पहले ही बिना परिवहन विभाग की अनुमित के गैरकानूनी रूप से प्राइवेट कैब कम्पनियां सिटी के ऑटो चालकों के व्यवसाय पर कब्जा कर चुकी है. इतने से भी मन नहीं भरा तो अब चुपके से बाइक राइड सिस्टम भी शुरू कर दिया. सरकार और प्रशासन ने गरीब ऑटो चालकों के बारे में भी सोचना चाहिए. इसलिए इन प्राइवेट कैब कंपनियों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा देना चाहिए ताकि ऑटो चालकों को अपना और परिवार का जीवन सुधारना का अवसर मिले. भालेकर ने कहा कि यदि ऑटो चालकों की इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया तो तीव्र आंदोलन किया जाये. 

इस दौरान प्रिंस इंगोले, जावेद शेख, सैय्यद रिजवान, अशोक न्यायखोर, अब्दुल आसिफ, वसीम अंसारी, मोहम्मद साबिर, धम्मपाल वाकड़े, मुकेश डांगे, कलीम पीर आदि की उपस्थिति रही.