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    नागपुर. प्रदेश में लालपरी के नाम से मशहूर एसटी बसें धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं. यह सिलसिला बीते 5 सालों से  लगातार चल रहा है लेकिन इसकी गति धीमी होने के कारण अहसास नहीं हो पा रहा है. पहले नागपुर डिवीजन से पूरे विदर्भ के लिए करीब 590 बसें चलाई जाती थीं लेकिन अब इनकी संख्या मात्र 429 रह गई हैं. इसका मतलब 161 बसें अपना दम तोड़ चुकी हैं. इसका खामियाजा भी सवारियों को उठाना पड़ रहा है. बस कम होने का सीधा लाभ निजी बस संचालक उठा रहे हैं.

    लोगों को यात्रा करने के लिए मजबूरी में निजी बसों में सफर करना पड़ रहा है क्योंकि एसटी की बसों का नेटवर्क कहीं न कहीं कमजोर पड़ा है. ऐसा नहीं है कि मुंबई में बैठे आला कमान को इस बात की भनक नहीं है लेकिन कभी बजट का अभाव तो कभी कर्मचारियों के साथ चलने वाले विवाद के कारण इस मसले पर कोई सटीक निर्णय नहीं हो पाया.

    इसी कारण बीते 10 सालों में कोई भी नई बस एसटी खेमे में शामिल नहीं हुई. जिसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ा. उनके लिए आने जाने के संसाधन सीमित हो गए. धीरे-धीरे निजी बसों ने रास्तों पर कब्जा जमाना शुरू किया. अब हालात यह हैं कि जहां एसटी बसों की सेवाएं नहीं पहुंचती वहां निजी बस चालक पहुंच जाते हैं. वे लोगों से मनमाना किराया लेकर अपनी जेबें भर रहे हैं.

    150 बसों की चर्चा 

    अधिकारियों की मानें तो आगामी साल में एसटी महामंडल के खेमे में पूरे प्रदेश में करीब 5 हजार बसों शामिल होने की चर्चा है. इसमें एसटी नागपुर मंडल में करीब 150 इलेक्ट्रिक बसें शामिल होने की उम्मीद हैं लेकिन सूत्रों की मानें तो यह चर्चा बीते एक साल से चल रही है लेकिन इसका कोई सटीक परिणाम सामने नहीं आया है. बस खरीदी का मामला तब तक आगे नहीं  बढ़ सकता जब तक प्रदेश सरकार इसमें रुचि नहीं लेती है क्योंकि सरकार की नजर में अभी तक यह विभाग कमाई के मामले में फिसड्डी है. इसलिए इस पर ज्यादा फोकस नहीं है. कर्मचारियों के झगड़े भी सरकार को इस मामले में नकारात्मक किए हुए हैं.