There are adequate measures to protect domestic violence victims during the bandh AAP government told court

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    नागपुर. पति-पत्नी के बीच विवाद के बाद पत्नी ने पुलिस में मामला दर्ज कराया. मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए पति की ओर से हाई कोर्ट में अंतरिम जमानत की याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अमित बोरकर ने पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद होने का हवाला देते हुए पति को अंतरिम जमानत देने के आदेश दिए. साथ ही अदालत ने यदि पति की ओर से कोर्ट की शर्तों का कहीं भी उल्लंघन किया गया तो जमानत रद्द करने के लिए जांच अधिकारी को आवेदन करने के आदेश दिए.

    उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लकड़गंज थाना में धारा 354डी, 509, 506, 503 और आईटी एक्ट की धारा 67 ए के तहत मामला दर्ज किया गया था जिसमें गिरफ्तारी होने की संभावना थी.

    निचली अदालत ने ठुकराई जमानत

    अभियोजन पक्ष के अनुसार याचिकाकर्ता का 27 अप्रैल 2014 को विवाह हुआ था जिसके बाद उन्हें एक बच्चा भी है. शिकायतकर्ता के अनुसार याचिकाकर्ता हमेशा उसे प्रताड़ित करता था. हालांकि मध्यस्थों के प्रयासों के बाद यह विवाद शांत हो गया. वर्ष 2021 को याचिकाकर्ता ने शहर छोड़ दिया जिसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से उसने प्रताड़ित करने का सिलसिला जारी रखा. इससे तंग आकर मजबूरन 13 मई 2021 को पुलिस से शिकायत की गई. मामला दर्ज होते ही याचिकाकर्ता ने जमानत के लिए निचली अदालत में अर्जी दायर की किंतु निचली अदालत ने 24 मार्च 2022 को आदेश जारी कर जमानत देने से साफ इनकार कर दिया. 

    याचिकाकर्ता नहीं कर रहा सहयोग

    याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील का मानना था कि दोनों के बीच वैवाहिक मतभेद हैं. यदि पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप सही भी माने जाएं तो भी भारतीय दंड संहिता की धारा 354 डी और आईटी एक्ट की धारा 67ए के तहत मामला नहीं बनता है. पुलिस की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता जांच में बिल्कुल सहयोग नहीं कर रहा है. यहां तक कि उसे  2 बार नोटिस भी जारी किए गए. इसके अलावा याचिकाकर्ता से मोबाइल फोन प्राप्त करना है जिसके लिए पुलिस हिरासत जरूरी है.

    दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने कहा कि वैवाहिक मतभेद होने के कारण विवाद चल रहा है. अंतरिम राहत दी जा सकती है. जहां तक सहयोग का मसला है तो कड़ी शर्तें लगाकर सहयोग निश्चित किया जा सकता है जिसके लिए अदालत ने याचिकाकर्ता को 23 मई 2022 को जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित रहने के आदेश दिए. साथ ही जिस समय उपस्थित रहने को कहा जाए, उपस्थित रहकर जांच में सहयोग करना होगा. यदि शर्तों का उल्लंघन किया गया तो जमानत रद्द करने के लिए अर्जी करने के आदेश पुलिस को दिए.