Thela on Road, VNIT
File Photo

    Loading

    नागपुर. कोरोना के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए प्रशासन द्वारा दोपहर 1 बजे से सभी दूकानें बंद करने संबंधी निर्णय से सबसे अधिक झटका चाय, नाश्ता, पानीपुरी सहित सड़क पर ठेला लगाकर गुजर बसर करने वाले दूकानदारों को लगा हैं. दिनभर की कमाई से परिवार का पेट पालने वालों के लिए कोरोना एक बार फिर मुसीबत बन कर आया है. हालात यह हो गई है कि अब दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल हो रहा है.

    सोमवार से सिटी में दोपहर 1 बजे के बाद फल, सब्जी, किराना सहित अन्य सभी दूकानें बंद की जा रही है. इस बंद से भीड़ पर नियंत्रण तो हुआ है लेकिन जिस तेजी के साथ ही संक्रमण फैल रहा है, उससे लगता है कि प्रशासन द्वारा 21 के बाद भी लॉकडाउन के निर्णय को यथावत रखा जाएगा. यही वजह है कि छोटी-मोटी दूकान लगाकर गुजर बसर करने वालों पर संकट गहराता जा रहा है. ऐसे अनेक लोग हैं जो ठेला लगाकर अपना जीवन-बसर करते हैं. चाय-नाश्ते की दूकान के भरोसे परिवार पलता है. इस कमाई से ही परिवार के साथ ही बच्चों की फीस का भी जुगाड़ होता है.

    कैसे होगा गुजारा 

    हुड़केश्वर रोड पर पूजा सामग्री की दूकान लगाने वाले रामेश्वर पांडे ने बताया कि पिछले वर्ष लॉकडाउन खत्म होने के बाद सड़क किनारे पूजा सामग्री की दूकान लगाई थी. जैसे-तैसे परिवार का खर्च निकल रहा था लेकिन एक बार फिर बंद होने से दिक्कतें बढ़ गई है. वहीं सड़क किनारे फूल-हार की दूकान लगाने वाले नितिन उईके सदर में एक दूकान में काम करता है. हर दिन के हिसाब से रोजी मिलती थी लेकिन अब दूकान 1 बजे बंद होने से रोजी भी आधी हो गई है. चाय की टपरी लगाने वाले मोहित की भी यही हालत है. जैसे-तैसे हालात सुधर रहे थे लेकिन एक बार फिर बंद होने से मुसीबत बढ़ गई है. लग रहा है कि यह पूरा महीना ही ऐसे ही निकल जाएगा. 

    घर बैठ रहे मजदूर 

    विविध तरह का निर्माण कार्य करने वाले मजदूरों का भी पलायन शुरू हो गया है. इस वजह से गृह निर्माण सहित अन्य कार्य भी बंद हो गये हैं. बाहरी मजदूरों के पलायन के साथ ही स्थानीय मजदूरों को भी काम नहीं मिल रहा है. पिछले वर्ष कई दिनों तक काम बंद रहने से वैसे भी मजदूरों पर आफत का पहाड़ टूट पड़ा था. लेकिन एक बार फिर से वही नौबत आ गई है. लोगों ने कोरोना बढ़ने की वजह से छोटे-मोटे काम भी बंद कर दिये हैं. यही वजह है कि अब मजदूरों पर घर पर बैठना पड़ रहा है.