नागपुर. संघ सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि छोटे कारणों को लेकर अराजकता फैलाने वाले कृत्य बढ़ते जा रहे हैं और इसे रोकना ही होगा. इसके लिए समाज और सरकारों को उपाय योजना करनी होगी. देश में तकनीकी संसाधनों के माध्यम से सांस्कृतिक हमला लगातार हो रहा है. तकनीकी माध्यमों यानी मोबाइल से अराजकता के प्रयोग किये जा रहे हैं. ओटीटी प्लेटफार्म में अनर्गल तस्वीरें आ रही हैं. उन्होंने इसके लिए चीन और पाकिस्तान को लिप्त बताया. वे विजयादशमी उत्सव पर रेशिमबाग में डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में आयोजित समारोह में बोल रहे थे. इस दौरान पथ संचलन भी हुआ.
भागवत ने कहा कि समाज को तोड़ने नहीं, बल्कि जोड़नेवाली भाषा का उपयोग होना चाहिए. जाति, भाषा, प्रांत के नाम पर हमें लड़ाने का जो प्रयास हो रहा है वह बेहद खतरनाक है. एकजुट होकर त्यौहार, उत्सव मनाने से सामाजिक सौहार्द बढ़ेगा. उन्होंने विनायक सावरकर के संदेश के संदर्भ में कहा कि हिंदू धर्म के उदय से कलह की दूकानें बंद हो जाएंगी. हिंदू समाज अपने स्व को न समझे, उसके प्रयास किये जा रहा है. इतिहास का मजाक उड़ाने का प्रयास हो रहा है. कोरोना में बच्चों के हाथ में भी मोबाइल आ गए हैं जिस किसी का नियंत्रण नहीं है.
अफसोस कि सरकारें लड़ रहीं
भागवत ने इस बात का भी अफसोस जताया कि ‘वी द पीपल ऑफ इंडिया यानी हम एक राष्ट्र हैं’ मानने वाले इस देश में दो राज्य की सरकारें लड़ रही हैं. उन्होंने आसाम और नागालैंड विवाद के बारे में कहा कि भारत में दो राज्यों के पुलिस एक-दूसरे पर गोलियां बरसा रही हैं. राजनीतिक दलों में विवाद व मतभेद तो ठीक है पर दो सरकारों में विवाद कैसे हो रहा है, यह बेहद अफसोसजनक है. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट ने स्व के विचार का अवसर दिया है.
आतिथ्य सत्कार व वैवाहिक कार्यक्रमों में खर्च की बचत हुई है. साफ-सफाई व सेहत के प्रति सजग रहने का सभी ने अनुभव लिया है. इन अच्छी आदतों को बिगड़ने नहीं देना है. कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है इसलिए किसी अनुमान पर निर्भर न रहकर चुनौती से लड़ने के लिए तैयार रहना है. हर गांव में 4-5 कोरोना योद्धा होना चाहिए. संघ ने इस संबंध में तैयारी पूरी कर ली है. उन्होने यह भी कहा कि घर में हम अपनी भाषा बोलते हैं, कागज पर मातृभाषा में लिखते व हस्ताक्षर करते हैं और जहां विदेश की भाषा आवश्यक है वहां उसका उपयोग किया जाना चाहिए लेकिन स्व के महत्व को नहीं भूलना चाहिए.
जनसंख्या नीति पर हो पुनर्विचार
सर संघचालक ने देश की जनसंख्या नीति पर पुर्नविचार की जरूरत बताई है. उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन बड़ी चुनौती है. 50 वर्ष बाद की स्थिति का आकलन करते हुए जनसंख्या नीति पर पुनर्विचार होना चाहिए. जनसंख्या नीति का सभी समाज पर समान अमल होना चाहिए. 2015 में संघ की बैठक में पारित प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए सर संघचालक ने कहा कि देश में समाज स्तर पर प्रजनन दर में असमानता है. सीमा क्षेत्र में जनसंख्या का असंतुलन बढ़ रहा है. उन्होंने तालिबान के संदर्भ में कहा कि उसके साथ बातचीत से परहेज नहीं किया जा सकता है. बातचीत व मेल मुलाकात से कई समस्याएं हल भी होती हैं लेकिन तालिबान के इतिहास को न भूलें. तालिबान से सावधान रहने की जरूरत है. पाकिस्तान व चीन आज भी तालिबान के समर्थक हैं. सीमा सुरक्षा और अधिक चाकचौबंद करने की जरूरत उन्होंने बताई.
हिंदू मंदिरों की समस्याएं
भागवत ने कहा कि हिन्दू मंदिरों की अवस्था आज अच्छी नहीं हैं. दक्षिण भारत के मन्दिर पूर्णतः वहां की सरकारों के अधीन हैं. शेष भारत में कुछ सरकार के पास, कुछ पारिवारिक निजी स्वामित्व में, कुछ समाज के द्वारा विधिवत् स्थापित विश्वस्त न्यासों की व्यवस्था में हैं. कई मंदिरों की कोई व्यवस्था ही नहीं ऐसी स्थिति है. मन्दिरों की चल-अचल सम्पत्ति के घाटोले की कई घटनाएं सामने आयी हैं.
भगवान का दर्शन, उसकी पूजा करने का हक सभी श्रद्धालुओं को है और सभी वर्ग को प्रवेश मिलना चाहिए. ‘सेक्युलर’ होकर भी केवल हिन्दू धर्मस्थानों को व्यवस्था के नाम पर दशकों शतकों तक हड़प लेना, अभक्त-अधर्मी-विधर्मी के हाथों उनका संचालन करवाना आदि अन्याय दूर होने चाहिए. हिन्दू मन्दिरों का संचालन हिन्दू भक्तों के ही हाथों में रहे तथा हिन्दू मन्दिरों की सम्पत्ति का विनियोग भगवान की पूजा तथा हिन्दू समाज की सेवा तथा कल्याण के लिए ही हो, यह भी उचित व आवश्यक है. उन्होंने कहा कि समाज में परस्पर विद्वेष, अलगाव दूर हों तथा समाज जुड़ा रहे ऐसी वाणी व कृति होनी चाहिए.