Representative Photo
Representative Photo

  • पैसों का विवाद, वाशिम में मिली थी लाश

Loading

नागपुर. इथेरियम नामक क्रिप्टो करंसी में निवेश कराकर लोगों को करोड़ों रुपयों का चूना लगाने वाले निषेध वासनिक ने एक बार फिर अपने साथी को मौत के घाट उतार दिया. 4 दिन पहले वाशिम के मालेगांव परिसर में आराधनानगर, खरबी निवासी माधव यशवंत पवार (38) की लाश मिली थी. माधव को 3 गोली मारकर हत्या की गई थी. इस मामले में पुलिस ने आराधनानगर निवासी विक्की उर्फ विकल्प विनोद मोहोड़, शुभम उर्फ लाला भीमराव कन्हारकर और व्यंकटेश उर्फ टोनी मिसन भगत को गिरफ्तार किया है.

आरोपियों ने पूछताछ में पता चला कि घटना का मास्टर माइंड निषेध वासनिक है. लेकिन निषेध, उसका राइट हैंड गज्जू उर्फ गजानन मुलमुले और अंजली नामक आरोपी फरार हैं. 11 सितंबर की सुबह निषेध ने अन्य आरोपियों की मदद से माधव का अपहरण किया. उसे कार में बुरी तरह पीटा गया. मालेगांव में उसे कार से उतारकर झाड़ियों में ले जाया गया. वहां उसके कपड़े उतारकर निषेध वासनिक ने अपनी पिस्तौल से 3 गोलियां मारीं. तब से वाशिम पुलिस और नागपुर क्राइम ब्रांच के यूनिट-4 की टीम प्रकरण की जांच में जुटी थी. 

जेल में हुई थी दोस्ती 

पुलिस को पता चला कि 11 सितंबर को विक्की ही माधव को घर से साथ लेकर गया था. पुलिस ने पहले विक्की को हिरासत में लिया. उसकी जानकारी के आधार पर अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई. माधव मूलत: सोलापुर का रहने वाला था. नागपुर में उसने एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी में नौकरी की. अकाउंट के काम में उसका हाथ कोई नहीं पकड़ सकता था. इसी दौरान उसने 99 लाख रुपये का घोटाला किया. इस मामले में गिरफ्तारी होने के बाद वह 6 वर्ष तक जेल में था. इसी दौरान निषेध ने कन्हान थाना क्षेत्र में अपने करीबी विनोद उर्फ भांजा सोमकुंवर की हत्या की थी. जेल की हवा खा रहे निषेध और माधव में अच्छी दोस्ती हो गई. 

करोड़ों का हिसाब जानता था मृतक

जमानत पर रिहा होने के बाद निषेध ने ठगी का नया धंधा शुरू किया. इथर ट्रेड एशिया नामक कंपनी शुरू कर सैकड़ों निवेशकों से इथेरियम में पैसा निवेश करवाया. जेल से छूटने के बाद उसने अपने अकाउंट का काम माधव को सौंप दिया. मार्च में अचानक सबका पैसा लेकर निषेध फरार हो गया. यह घोटाला कम से कम 100 करोड़ रुपये का है. माधव उसका करोड़ों रुपयों का लेखा-जोखा जानता था.

निषेध ने उसे पूरा हिसाब रखने के लिए एक फोन भी दिया था. यह फोन माधव उसे नहीं लौटा रहा था. इसी वजह से निषेध ने माधव की हत्या की. डीआईजी सुनील फुलारी और डीसीपी गजानन राजमाने के मार्गदर्शन में यूनिट-4 के एपीआई ओमप्रकाश सोनटक्के, शंकर धायगुड़े, वाशिम के एपीआई अतुल मोहनकर, वाड़वे, पीएसआई पठान, मोहर्ले, अतुल इंगोले, हेड कांस्टेबल बबन राउत, रवींद्र पानबुड़े, युवानंद कड़ू, बजरंग जुनघरे, प्रशांत कोड़ापे, दसचिन तुमसरे, आशीष क्षीरसागर, अविनाश ठाकुर, महेश काटवले, लीलाधर भेंडारकर और श्रीकांत मारवाड़े ने कार्रवाई की.