Representational Pic
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  • दो बार हुआ गोपनीय सर्वे, नगरसेविकाओं पर गिरेगी गाज

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नागपुर. किसी भी चुनाव में भाजपा की तैयारी सबसे अधिक नियोजनबद्ध होती है कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. अब तो भाजपा की उम्मीदवारी पाने वालों की कतारें लगती हैं. आगामी समय में नागपुर मनपा का चुनाव होने वाला है तो यहां भी पार्टी ने अभी से उम्मीदवारों को तय करना शुरू कर दिया है. विद्यमान नगरसेवकों और नगरसेविकाओं के 5 वर्ष के कार्यों, नागरिकों के साथ व्यवहार, उसके द्वारा किये गए समाजकार्य, कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने की नीति सहित कई बिंदुओं पर पार्टी ने 2 बार गोपनीय सर्वे कर रिपोर्ट कार्ड तैयार कर लिया है.

सूत्र दावा कर रहे हैं कि विद्यमान नगरसेविकाओं में से 80 फीसदी की टिकट इस बार कटने वाली है और उनकी जगह नये चेहरों को मौका दिया जाएगा. वहीं नगरसेवकों के भी 70 फीसदी टिकट कटने की चर्चा चल रही है.

दरअसल, पार्टी सर्वे में यह सामने आया है कि पार्टी कार्यकर्ताओं में ही अधिकतर नगरसेविकाओं के प्रति नाराजी है क्योंकि उन्होंने 5 वर्षों में कुछ खास नहीं किया. मनपा की सभा में भी 80 फीसदी नगरसेविकाओं ने अपना मुंह तक नहीं खोला. अपने क्षेत्र की समस्याओं और विकास कार्यों को लेकर भी वे गंभीर नहीं रहीं जिससे प्रभाग में उनके प्रति नागरिकों में भी नाराजी है. 

81 में से 61 भाजपा की

मनपा में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण है. 151 सदस्यों वाली मनपा में वैसे तो 76 नगरसेविकाएं होनी चाहिए लेकिन ओपन वर्ग से भी चुनाव लड़कर जीतने के चलते कुल 81 नगरसेविकाएं हैं. इनमें 61 भाजपा की हैं. सभी का कार्यकाल फरवरी 2022 में समाप्त हो रहा है जिसके चलते सिटी में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इस बार 3 सदस्यीय प्रभाग रचना प्रणाली से चुनाव होना है. 50 फीसदी महिला आरक्षण के चलते उन्हें टिकट तो मिलनी ही है लेकिन भाजपा 80 फीसदी के चेहरे बदलने वाले हैं. भाजपा की 61 नगरसेविकाओं में से 5 ने तो अपने प्रतिद्वंद्वी पुरुष उम्मीदवारों को पराजित किया था. बीते 15 वर्षों से मनपा में भाजपा की सत्ता है. पार्टी में नये कार्यकर्ताओं को अब आशा है कि उन्हें उम्मीदवारी देकर पार्टी नगरसेवक बनने का मौका देगी. पार्टी नेताओं ने भी इस बार नये चेहरों को मौका देने की मंशा जताई है जिसके चलते किसकी टिकट कटेगी और किसकी बचेगी इस पर चर्चाओं का दौर चल रहा है. 

टिकट बचाने की कवायद

चुनाव मार्च महीने के पहले सप्ताह में होने की संभावना है. अभी से सिटिंग नगरसेवक और नगरसेविकाओं ने अपनी टिकट सुरक्षित करने की कवायद शुरू कर दी है. जबसे यह कयास लग रहे हैं कि 80 फीसदी नगरसेविकाओं की टिकटें कटने वाली हैं तभी से उनमें बैचेनी देखी जा रही है. ऐसी नगरसेविकाओं को अधिक चिंता है जिन्होंने मनपा की आमसभा में पूरे 5 वर्ष तक एक वाक्य तक नहीं बोला. अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन में नहीं रखा. मनपा प्रशासन पर दबाव बनाकर अपने मतदाताओं की समस्याओं के निराकरण पर ध्यान नहीं दिया. देखना यह होगा कि क्या पार्टी सचमुच अपने 70-80 फीसदी सिटिंग नगरसेवक व नगरसेविकाओं की टिकट काटने का जोखिम उठाएगी.