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    नागपुर. मध्य प्रदेश की बोगस ट्रांजिट पास (टीपी) के जरिए राज्य में रेत की तस्करी करने वाले माफियाओं के खिलाफ क्राइम ब्रांच ने शिकंजा कसा है. इस कार्रवाई से रेत सप्लाई करने वाले व्यापारियों में हड़कंप मच गया है. ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले पुलिस ने रेत से लदे ट्रक पकड़े थे. जांच-पड़ताल के दौरान रेत माफियाओं ने मध्य प्रदेश से रेत लाने की जानकारी दी थी और एमपी से जारी की गई ट्रांजिट पास दिखाई थी. बाद में टीपी फर्जी होने का पता चला और भोपाल के गोविंदपुर से राहुल नरेश खन्ना (25) को गिरफ्तार किया गया. राहुल शहर के रेत माफियाओं को फर्जी तरीके से एमपी की टीपी उपलब्ध करवा रहा था. इस टीपी के आधार पर नागपुर जिले के रेत माफिया अलग-अलग घाटों से बिना रॉयल्टी के रेत उत्खनन कर बाजार में बेच रहे थे.

    अब इस मामले में पुलिस ने सावनेर खापा की रेत माफिया गैंग को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपियों में खापा निवासी सुरेंद्र विठोबा सावरकर (31), पीयूष राजेंद्र बुरडे (28), ईशान लहूकुमार बांगड़े (31), बाजार चौक, सावनेर निवासी आशीष मूलचंद गौर (26) और महेश चंद्रप्रकाश चकोले (36) का समावेश है. सभी रेत माफियाओं के बड़े नेता से तार जुड़े होने की जानकारी मिल रही है. आगे इस मामले में और भी लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें 27 जनवरी तक पुलिस हिरासत में रखने के आदेश दिए हैं. 

    घाट मालिकों की मिलीभगत

    इस पूरे रैकेट में सबसे बड़ी भूमिका घाट मालिकों की है लेकिन सच तो यह है कि हर बार वह कार्रवाई से बच जाते हैं. पहले भी पुलिस नागपुर सहित आसपास के जिलों से चोरी की गई रेत से लदे ट्रक पकड़ चुकी है. चालक और ट्रांसपोर्टर पर कार्रवाई होती है. रॉयल्टी की रसीद देखे बगैर घाट मालिक रेत उठाने की अनुमति नहीं दे सकता. यहां तो एमपी की टीपी पर भी गोरखधंधा चल रहा है. ट्रांसपोर्टर और रेत माफिया नागपुर के आसपास के जिलों से माल उठाते हैं और एमपी की टीपी दिखाकर राज्य सरकार को लाखों रुपये का चूना लगा रहे हैं. जिस घाट से माल चोरी हुआ उस घाट के मालिकों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.