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  • दिवाली पर घर जा रहे यात्रियों की भरमार, ताक पर प्रशासन के दिशानिर्देश

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नागपुर. 3 दिन बाद मनाई जाने वाली दिवाली के लिए लोगों का आना-जाना शुरू हो गया है. ऐसे में ट्रेनें और बसें हाउसफुल नजर आ रही हैं. कोरोना काल जारी होने के बावजूद कहीं भी प्रशासनिक दिशानिर्देशों का पालन होता नहीं दिख रहा. 

बसों की लंबी कतारें

इन दिनों शहर की मुख्य सड़कों पर प्राइवेट बसों की लंबी कतारें दिख रही है. कोरोना की दूसरी लहर पर नियंत्रण के साथ ही प्रशासन ने लगभग सभी प्रतिबंध हटा लिये हैं. वहीं, 2 वर्ष के बाद लोगों को हर्षोल्लास से दिवाली मनाने का मौका मिला है. ऐसे में दूसरे शहरों के निवासी लोगों में विशेष उत्साह दिख रहा है. इसी वजह से इस बार हर कोई अपने घर पर दिवाली मनाने के लिए घर का रास्ता पकड़े हुए है. इनमें अधिकांश विद्यार्थी और मजदूर वर्ग के लोग हैं.गणेशपेठ स्टैंड, बैद्यनाथ चौक, गीतांजलि टॉकीज, लोहापुल, रहाटे कॉलोनी, स्नेहानगर बस स्टाप, भोले पेट्रोल पम्प, सदर, सभी जगहों पर बसों के इंतजार में बड़ी संख्या में यात्री नजर आ रहे हैं. वहीं, बसों की कतारें भी लग रही हैं. 

ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट

उधर, करीब 90 प्रतिशत यात्री ट्रेनें भी शुरू हो चुकी है लेकिन दिवाली से ठीक पहले यात्रियों की लंबी वेटिंग लिस्ट देखकर लगता है जैसे रेलवे कोरोना के सदमे से उबर चुकी है. नागपुर से लगभग हर रूट पर कन्फर्म टिकट नहीं मिल पा रही है. मुंबई और पुणे से आने वाली और जाने वाली सभी ट्रेनें नवंबर के दूसरे सप्ताह तक हाउसफुल हो चुकी है. ऐसा ही नजारा हावड़ा रूट पर भी नजर आ रहा है. स्टेशन परिसर में बड़ी संख्या में यात्रियों का हुजूम नजर आ रहा है. हालांकि दशहरे के समय यात्रियों की इतनी आवाजाही नहीं थी जिससे लग रहा था कि शायद दिवाली पर रेलवे को इतने यात्री न मिले. लेकिन इसके उलट ट्रेनों में अब फिर पहले जैसा नजारा दिख रहा है. हाल यह है कि केवल कन्फर्म टिकट पर सफर का नियम होने के बावजूद वेटिंग टिकट पर भी यात्री सफर करते नजर आ रहे हैं. 

कौन सा कोरोना, कहां है कोरोना?

बसों और ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ देखकर कोरोना भी शरमा जाये. यहां देखकर लगता है कि जैसे सभी प्रशासनिक दिशा-निर्देश हवा हो गये है. दोगुने से अधिक यात्रियों से भरी बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का नामोनिशान नहीं दिखता. लोगों के चेहरे से मास्क भी उतरे नजर आते हैं. हैरानी की बात है कि ओवरलोडेड बसें ट्रैफिक पुलिस के सामने से गुजरती है लेकिन कोई नहीं रोकता. स्टेशन पर भी यात्रियों का जमघट देखकर अब सब कुछ सामान्य सरीखा नजर आ रहा है. नागपुर स्टेशन पर देश के सभी कोनों से ट्रेनें आती है. ऐसे में यहां मास्क और सैनेटाइजर जैसी सावधानी बहुत जरूरी है. 

MP, छत्तीसगढ़ के लिए टैक्सी वालों की चांदी

उधर, इस बार दिवाली मनाने के लिए प्रवासी मजदूरों ने भी घर की राह पकड़ी है. करीब डेढ़ वर्ष के बाद बेहतर रोजगार के बाद घर जाने का उत्साह इनके चेहरे पर झलक रहा है. सिटी में अधिकांश मजदूर पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के हैं. दोनों राज्यों के लिए जाने वाली बसों में पैर रखने तक को जगह नहीं मिल रही. ऐसे में टैक्सियों की चांदी हो गई है. टेकड़ी रोड पर एमपी बस स्टैंड से देर रात तक मजदूरों से भरी टैक्सियों बालाघाट, छिंदवाड़ा और जबलपुर के लिए रवाना होती है. बसों के बाद टैक्सी चालकों ने भी किराया दोगुना कर दिया है. हालांकि मजदूरों के लिए महंगे की किराये की मार भारी है लेकिन परिवार के साथ दिवाली मनाने का जोश भी कम फीका नहीं.