नागपुर. मनपा द्वारा 14 जून 2022 को वृक्ष समिति बर्खास्त किए जाने और समिति में बतौर सदस्य सेवाएं समाप्त किए जाने को लेकर जारी पत्र को चुनौती देते हुए सचिन खोबरागडे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने नोटिस जारी किए बिना ही याचिका को निरस्त कर दिया.
याचिकाकर्ता ने कहा कि पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में उन्हें समिति में शामिल किया गया था. सिटी में पर्यावरण के संरक्षण के लिए उनके कार्यों को देखते हुए समिति में बनाए रखना चाहिए था किंतु इसके विपरीत निर्णय लिया गया. अत: 14 जून के फैसले को निरस्त करने का अनुरोध भी अदालत से किया गया. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.
वर्षों से पर्यावरण संरक्षण का काम
याचिकाकर्ता ने कहा कि पर्यावरण और पेड़ों के संरक्षण में रुचि होने के कारण गत कई वर्षों से इस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण का काम चल रहा है. इस कार्य के लिए न तो सरकार और न ही स्थानीय प्रशासन से किसी तरह का मेहनताना लिया जा रहा है. व्यक्तिगत जिम्मेदारी समझकर यह कार्य किया जा रहा है. मार्च 2022 में महाराष्ट्र प्रोटेक्शन एंड प्रिवेन्शन ऑफ ट्रीज एक्ट के तहत नागपुर महानगरपालिका वृक्ष प्राधिकरण में बतौर पर्यावरण विशेषज्ञ नियुक्त किया गया था. 13 जनवरी 2022 को प्राधिकरण की हुई बैठक में इसे मंजूरी प्रदान की गई थी. नियुक्ति पत्र में मनपा की ओर से कुछ समय निर्धारित नहीं किया गया था. अब अचानक ही सेवाएं समाप्त होने का पत्र भेजा गया है.
प्रशासक को अधिकार नहीं
याचिकाकर्ता ने कहा कि कानून के अनुसार किसी भी महानगरपालिका में प्रशासक को वृक्ष प्राधिकरण बर्खास्त करने का अधिकार ही नहीं है. यहां तक कि किसी सदस्य की सेवाएं समाप्त करने का भी अधिकार नहीं है. यदि कार्यकाल समाप्त भी होता है तो उद्यान अधीक्षक को पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है. इसके लिए प्रशासक को पत्र जारी करना होता है.
24 जून 2021 को राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की गई है जिसके अनुसार पर्यावरण विशेषज्ञ के बिना कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता है. ऐसे में उनकी सेवाएं समाप्त होने के बाद वृक्ष प्राधिकरण कोई भी निर्णय नहीं ले सकेगा. याचिकाकर्ता की तमाम दलीलों के बावजूद अदालत ने याचिका ठुकरा दी.