5 रुपये का तिरंगा 15 में, स्कूलों में बच्चों से हो रही वसूली

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    नागपुर. भारत सरकार आजादी के 75वें वर्ष पर घर-घर तिरंगा अभियान चला रही है लेकिन इसे कुछ निजी स्कूलों ने बिजनेस बना लिया है. वे बच्चों को 5 रुपए का तिरंगा 15 रुपए या इससे भी अधिक में दे रहे हैं. इस पर कुछ अभिभावकों ने आपत्ति भी दर्ज कराई लेकिन उनसे स्पष्ट कह दिया गया कि यह स्कूल प्रबंधन का नियम है. इसका पालन सबको करना होगा. अभिभावकों का कहना है कि तिरंगा तो वे भी दूकान से दिलवा सकते हैं लेकिन स्कूल प्रबंधन इसकी इजाजत नहीं दे रहा.

    अभिभावकों का कहना है कि अब तक स्कूल प्रबंधन एडमिशन के साथ स्कूल ड्रेस, किताबों के साथ दूसरी चीजों पर ही कमीशन लेते थे लेकिन इस बार केन्द्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे घर-घर तिरंगा अभियान को भी कमर्शियल किया जा रहा है. करोड़ों रुपए हर साल छात्रों से लेने वाले स्कूल प्रबंधन के पास छोटा सा तिरंगा देने के लिए फंड नहीं है जबकि इसका लाभ उसी को मिलना है. फिलहाल अभिभावक बच्चों के भविष्य को देखते हुए चुप हैं. हालांकि स्थानीय प्रशासन के सामने उन्होंने सवाल खड़ा कर दिया है कि ऐसे मामलों की अनदेखी कब तक होती रहेगी. 

    नहीं पता महत्व

    तिरंगे का अपना एक अलग महत्व है. उसे फहराने से लेकर सुरक्षित रखने तक का नियम है लेकिन स्कूल प्रबंधन इन सबके बारे में बच्चों को जानकारी न देकर उनका फोकस बच्चों को तिरंगा बेचने पर है. कई बच्चे बाजार से अपनी पसंद का तिरंगा खरीद भी चुके हैं लेकिन स्कूल प्रबंधन उसे अलाऊ नहीं कर रहा है. इससे वे भी परेशान हैं क्योंकि कई बच्चों को स्कूल प्रबंधन द्वारा दिया गया तिरंगा पसंद नहीं है. वे अपनी पसंद का राष्ट्रध्वज फहराना चाहते हैं.