नागपुर. शहर में अनधिकृत निर्माण की बाढ़ आ गई है. बहुमंजिला इमारतों के निर्माण के लिए नक्शों को मंजूरी लेने से पहले ही निर्माण शुरू कर दिया जाता है. इस तरह के मामले उजागर होने के बाद महापौर दयाशंकर तिवारी ने स्थापत्य समिति के साथ ही 5 सदस्यीय समिति गठित करने के निर्देश जारी किए. सोमवार को हुई मनपा की आम सभा में पार्षद बाल्या बोरकर ने विशेष रूप से पूर्व नागपुर में 15 से 17 मंजिला अपार्टमेंट बनने से सीवरेज लाइन पर पड़ते इसके असर को लेकर सदन में मुद्दा उठाया.
उन्होंने का कि व्यवसायिक उपयोग की जमीन पर वर्तमान में आवासीय निर्माण को मंजूरी मिलने से व्यवसायिक प्रतिष्ठान महालगांव कापसी आदि इलाकों में स्थानांतरित हो रही है. जबकि इनके स्थान पर फ्लैट स्कीम आदि तैयार हो रही है किंतु पहले से बिछाई गई मलजल वाहिनियों को फ्लैट स्कीम के अनुसार परिवर्तित नहीं किया जा रहा है. जिससे हर दिन अब इसकी समस्या खड़ी होती है.
नियमों का नहीं होता पालन
उन्होंने अपार्टमेंट तैयार करने से पहले सीवरेज की क्षमता की जांच होती है क्या,अधिकारियों की ओर से वास्तविक जगह जाकर अवलोकन किया जाता है क्या, निर्माण होते समय पीडब्ल्यूडी व स्वास्थ्य विभाग की ओर से एनओसी ली जाती है क्या?. इस तरह के सवालों के जवाब प्रशासन द्वारा देने की मांग सदन में रखी. प्रशासन की ओर से बताया गया कि मंजूरी के पूर्व प्रशासन की ओर से सभी नियमों के पालन का ध्यान रखा जाता है. यदि सीवरेज लाइन न हो तो संबंधित को सेप्टिक टैंक निर्मित करने की हिदायत दी जाती है. पार्षद प्रफुल्ल गुड्धे ने कहा कि फ्लैट स्कीम आदि तैयार करते समय मूलभूत सुविधाओं के लिए मनपा की ओर से शुल्क लिया जाता है. यह शुल्क उसी संदर्भ में खर्च होना चाहिए किंतु अन्य के लिए खर्च होती है. अत: इस तरह के मामलों के लिए नीति निर्धारित होनी चाहिए.
लेंडी तालाब का होगा डिमार्केशन
लेंडी तालाब परिसर घोषित स्लम में होने के बावजूद लोगों को मालकी पट्टे नहीं मिलने का मामला पूर्व उप महापौर दीपराज पार्डीकर द्वारा उठाया गया. चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि 28 एकड़ का तालाब अब 12 एकड़ तक सीमित हो गया है. जबकि अन्य जगह पर 728 पक्के मकानों का निर्माण हो चुका है. उक्त जमीन तालाब के नाम से दर्ज होने के कारण मालकी पट्टे नहीं दिए जा रहे हैं. चर्चा के बाद महापौर दयाशंकर तिवारी ने परिसर का तुरंत डिमार्केशन करने के निर्देश प्रशासन को दिए.