Nagpur High Court
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    • 4,000 निवेशकों को लगाया था चूना
    • 230 करोड़ से अधिक की वित्तीय धांधली

    नागपुर. वासनकर वेल्थ मैनेजमेंट कम्पनी की ओर से की गई धोखाधड़ी उजागर होने के बाद निवेशकों द्वारा अंबाझरी थाना में शिकायत दर्ज कराई गई. इसके बाद पुलिस ने कम्पनी के तमाम डायरेक्टर्स को मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया. कम्पनी के संचालक तथा मामले के मास्टरमाइंड प्रशांत वासनकर के साले अभिजीत चौधरी को हाल ही में अदालत की ओर से 5 लाख के निजी मुचलके पर जमानत प्रदान की गई. इसी आधार पर अब प्रशांत वासनकर ने भी जमानत की मांग कर फिर एक बार हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

    इस पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने राज्य सरकार के गृह विभाग तथा अंबाझरी पुलिस को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. जीएस गौर और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील इंद्रनील दामले ने पैरवी की. 

    7 वर्षों से जेल में है अभियुक्त

    गत समय सुनवाई के दौरान अधि. चौहान ने कहा कि हाई कोर्ट ने गत समय 6 माह के भीतर सुनवाई खत्म करने के आदेश जिला सत्र न्यायालय की विशेष अदालत को दिया था. आलम यह है कि उसके बाद से अब तक सुनवाई की केवल खानापूर्ति हो रही है. सरकारी पक्ष की ओर से निचली अदालत में 22 बार सुनवाई स्थगित करने की मांग की गई है जिससे वह लगातार टलती रही है. सुनवाई में हो रही देरी के कारण अभियुक्त गत 7 वर्षों से जेल में है. सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि कोरोना महामारी की विपदा के कारण और निचली अदालत में सरकारी पक्ष रखने वाले सरकारी वकील कोरोना पॉजिटिव होने से सुनवाई पर असर पड़ा है. इसके अलावा इसमें 22 आरोपी हैं. जिनके लिए अलग-अलग वकील खड़े होते हैं. प्रत्येक वकील गवाहों के बयान दर्ज कराता है. एक गवाह के बयान दर्ज करने में 8-8 घंटे का समय लगता है जिससे याचिकाकर्ता द्वारा लगाया गया आरोप पूरी तरह निराधार है.

    प्रशांत के भाई को भी मिली है जमानत

    -प्रशांत वासनकर के भाई विनय वासनकर को भी अदालत की ओर से पहले ही जमानत प्रदान की जा चुकी है. अभिजीत चौधरी और विनय वासनकर के साथ प्रशांत को 27 जुलाई 2014 को गिरफ्तार किया गया था. 

    -7 वर्ष से अधिक समय से आरोपी जेल में है. यहां तक कि अब चार्जशीट भी दायर हो चुकी है. ऐसे में जांच के लिए याचिकाकर्ता की आवश्यकता नहीं होने का हवाला दिया गया. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किए. 

    -उल्लेखनीय है कि पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 406, 409, 506, और 120 बी के अलावा एमपीआईडी की धारा 3 तथा सेबी एक्ट की धारा 24 (1) और 27 के साथ ही आरबीआई एक्ट की धारा 45 (1)(a) और 45 (s) के तहत मामला दर्ज किया गया था. गत सुनवाई के दौरान अदालत का मानना था कि 4,000 निवेशकों को 230 करोड़ से अधिक का चूना लगाया गया है.