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    • 07 महीनों से अधिकारियों का मौन

    नागपुर. व्यावसायिक उपयोग के लिए चलाए जाने वाले वाहनों के लिए मालिकों को प्रति वर्ष वाहन कर भरना होता है. नियमों के अनुसार खरबी रोड साईंबाबानगर निवासी चंद्रशेखर खैरकर ने 10 दिसंबर 2021 को एक वर्ष का वाहन कर एचडीएफसी बैंक खाते से आरटीओ के एसबीआई ई-पे अकाउंट पर ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया. ऑनलाइन ट्रांसफर की इस प्रक्रिया के बाद उनके खाते से तो पैसा कट गया लेकिन आरटीओ के खाते मे ट्रांजेक्शन फेल्यूअर बताने लगा. हालांकि इसके पूर्व भी आरटीओ को ऑनलाइन भुगतान किया गया किंतु फेल्यूअर बताने पर उनके खाते से पैसे नहीं काटे गए थे. लेकिन इस लेन-देन में खाते से पैसे तो कट गए किन्तु आरटीओ अधिकारियों के अनुसार विभाग के खाते में निधि जमा नहीं हुई. गड़बड़ी को ठीक कराने के लिए गत 7 माह से आरटीओ के चक्कर लगाए जा रहे हैं लेकिन न्याय नहीं मिल रहा है. अत: अब अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी उन्होंने दी.

    आरटीओ में भुगतान निधि में रिफंड का कोई तंत्र नहीं

    खैरकर ने कहा कि बैंक से भी इस लेन-देन के संदर्भ में शिकायत की गई जिस पर बैंक द्वारा बताया गया कि आरटीओ में भुगतान निधि का  रिफंड पाने का कोई तंत्र नहीं है. अब बैंक खाते से कटी निधि बीच में कहां गायब हो गई? इसका पता नहीं लग रहा है. इसके विपरीत आरटीओ को लिखित शिकायत करने के बाद भी उनके खाते में निधि जमा नहीं हो पाई है. अत: 3 मई 2022 को आरटीआई में आरटीओ (पूर्व) से 2 मुद्दों पर जानकारी मांगी गई जिसके जवाब में आरटीओ ने परिवहन आयुक्त, मुंबई को 26 मई को पत्र भेजकर इस मामले पर मार्गदर्शन करने और निधि वापस करने संबंधी निर्णय लेने की जानकारी प्रदान की. इसके अलावा आरटीओ के खाते में गए पैसे वापस कैसे मिलेंगे? इसके जवाब में सूचना अधिकारी ने मुंबई मोटर वाहन कानून अधिनियम 1958 की धारा 9 के तहत कार्यवाही करने का जवाब दिया है. 

    विभाग की लचर कार्यप्रणाली

    उन्होंने कहा कि आरटीओ कार्यालय से मुंबई भेजे गए पक्ष में अप्लीकेशन नंबर तो सही लिखा गया लेकिन ट्रांजेक्शन आईडी नंबर दूसरा ही लिखा गया है. अत: आरटीओ अधिकारी की ओर से यह दूसरा ट्रांजेक्शन आईडी नंबर कहां से लाया गया? यह खोज का विषय बन गया है. आरटीओ की लापरवाहीपूर्ण लचर कार्यप्रणाली के कारण ही 7 माह से समस्या हल नहीं हो रही है. इसके अलावा यदि आईडी नंबर ही गलत डाला गया तो निधि कैसे वापस होगी. इसे लेकर भी प्रश्न बना हुआ है. पीड़ित वाहन चालक को न्याय दिलाने के लिए ओला उबेर टैक्स चालक एप बेस्ड वर्कर्स वेलफेअर एसोसिएशन के दीपक साने और आशीष उमरकर ने जल्द निधि वापस नहीं मिलने पर बैंक और आरटीओ के खिलाफ अदालत में जाने की चेतावनी दी.