Nagpur High Court
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नागपुर. सरकारी जमीन पर अतिक्रमण होने के बावजूद राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार उसका नियमितीकरण अनिवार्य है. इसे लेकर रघुनाथ लांजेवार और अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सोमवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश रोहित देव और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने कहा कि नियमितीकरण के लिए 5 वर्षों से आवेदन प्रशासन के पास पड़ा हुआ है लेकिन अब तक इस संदर्भ में निर्णय नहीं हो पाया है, जबकि 2018 से स्थिति को ‘जैसे थे’ बनाए रखने की अंतरिम राहत जारी है. अत: अब अदालत ने याचिकाकर्ता को 24 मार्च की सुबह 11 बजे जिलाधिकारी के समक्ष उपस्थित रहने तथा याचिकाकर्ता की उपस्थिति के बाद 7 दिनों के भीतर नियमितीकरण के आवेदन पर निर्णय करने के आदेश जिलाधिकारी को दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. पीएस सहारे और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील अधि. एनएस राव ने पैरवी की.

2011 के पूर्व का अतिक्रमण

उल्लेखनीय है कि इस संदर्भ में हाई कोर्ट द्वारा 19 नवंबर 2018 को ही आदेश जारी किए गए थे. आदेश में कोर्ट ने कहा कि 1 जनवरी 2011 के पूर्व से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण होने का दावा याचिकाकर्ता द्वारा किया गया. 16 फरवरी 2018 और 20 अगस्त 2018 को राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी की. इसके अनुसार उनका अतिक्रमण नियमितीकरण करने के योग्य है. अदालत ने आदेश में कहा कि एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 11 सिंतबर 2018 को आदेश दिया था जिसमें जमीन पाने के लिए आवेदन करने की अनुमति याचिकाकर्ता को दी थी. यहां तक कि याचिकाकर्ता सरकारी अधिसूचना के अनुसार नियमितीकरण के योग्य है और आवेदन किया जाता है तो नियमों के अनुसार उस पर संज्ञान लेने के आदेश दिए थे.

याचिकाकर्ताओं को हटाने पर लगाई थी रोक

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इन अधिसूचना के आधार पर अतिक्रमण को नियमित करने का आवेदन किया गया किंतु संबंधित प्राधिकरण के पास आवेदन लंबित है. अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया. इसके बाद अदालत ने क्या याचिकाकर्ता का अतिक्रमण नियमित करने की आवश्यकता है? या प्लॉट अलाट करने के योग्य है, इस पर निर्णय लेने तथा तब तक याचिकाकर्ता का अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाई थी. अब अदालत ने समय सीमा तय कर निर्णय लेने के आदेश जिलाधिकारी को दिए.