college students
Representative Photo

  • छात्रों, पालकों और प्राध्यापकों का सरकार से सवाल

Loading

नागपुर. कोरोना महामारी की वजह से पिछले 18 महीनों से कॉलेज बंद हैं, जबकि अनेक युवाओं ने वैक्सीन का पहला और दूसरा डोज ले लिया है. इसके बावजूद सरकार द्वारा दिवाली के बाद से कॉलेज खोलने का निर्णय छात्रों सहित पालकों और प्राध्यापकों को हजम नहीं हो रहा है. जब स्कूल खुल गए तो फिर कॉलेजों को बंद रखने का कोई औचित्य ही नहीं है.

कोरोना काल में सरकार द्वारा लिए गए कुछ निर्णय जनता के अनुकूल नहीं रहे. कॉलेज पिछले वर्ष के मार्च से बंद हैं. अब तक ऑनलाइन क्लासेस के साथ ही परीक्षा भी ऑनलाइन ही ली जा रही है. लेकिन आर्ट और कॉमर्स के अधिकांश कॉलेजों ने ऑनलाइन क्लासेस बंद कर दी हैं.

वहीं जिन कॉलेजों द्वारा ऑनलाइन क्लास ली जा रही हैं वहां छात्रों की उपस्थिति 50 फीसदी भी नहीं है. यही वजह है कि अब छात्र भी कॉलेज खोलने की मांग करने लगे हैं. लगातार 2 सत्रों की परीक्षा ऑनलाइन होने से छात्रों को भविष्य में अनेक दिक्कतें आएंगी. पालकों का कहना है कि जब स्कूल खोले जा सकते हैं तो फिर कॉलेज खोलने में क्या दिक्कतें हैं, जबकि बच्चों को कोरोना का ज्यादा खतरा है. कॉलेज जाने वाले अधिकांश युवाओं का वैक्सीन का पहला डोज हो गया है. वहीं कई छात्रों ने तो दूसरा डोज भी ले लिया है. 

स्पर्धा हुई खत्म, कैम्पस प्लेसमेंट पर भी लगा ब्रेक

अब तक हो रही ऑनलाइन परीक्षा के परिणाम 100 फीसदी लग रहे हैं. इससे छात्रों के बीच स्पर्धा खत्म हो गई है. अंतिम वर्ष के छात्र मेरिट में पास हो रहे हैं लेकिन जॉब के मामले में पिछड़ते जा रहे हैं. यदि इस बार भी ऑनलाइन परीक्षा ली गई तो यह छात्रों के साथ अन्याय ही होगा. सबसे अधिक दिक्कतें प्रोफेशनल कोर्सेस के छात्रों को आ रही हैं. पिछले वर्ष से कैम्पस नहीं हुए. जॉब पर एक तरह से ब्रेक लग गया है. डिग्री हासिल करने के बाद भी छात्र घर पर बैठे हैं. यही वजह है कि अब कॉलेज खोले जाने चाहिए ताकि ग्रीष्म सत्र की परीक्षा ऑफलाइन पद्धति से ली जा सके. कॉलेजों के स्टॉफ का वैक्सीनेशन लगभग पूरा हो गया है. टीचिंग और नॉन टीचिंग दोनों ही कॉलेजों में आ भी रहे हैं. फिर सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड नियमों का पालन कर ऑफलाइन क्लासेस भी ली जा सकती हैं.

इसी माह से होना था शुरू

सरकार ने दिवाली के बाद कॉलेज खोलने की बात कही है. दिवाली के बाद शीत सत्र परीक्षाएं आरंभ हो जाएंगी. यदि मई-जून में ग्रीष्म सत्र परीक्षा ली जाती है तो छात्रों के पास 3-4 महीने ही ऑफलाइन क्लासेस के लिए रह जाएंगे, जबकि साइंस के छात्रों ने पिछले वर्ष से प्रयोगशालाओं में कदम नहीं रखा है. यदि इसी माह से क्लासेस शुरू हो जातीं तो छात्रों को पढ़ाई और प्रैक्टिकल के लिए अवसर मिल जाता था. प्राध्यापकों का कहना है कि अब जब स्थिति सामान्य होने लगी है तो सरकार को देर नहीं करनी चाहिए. विवि प्रशासन ऑफलाइन परीक्षा लेने के लिए तैयार है. इस हालत में सरकार द्वारा जल्द कॉलेज खोले गए तो विवि प्रशासन को भविष्य के नियोजन के लिए समय मिल सकेगा.