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  • जिला परिषद को ACB का पत्र, नरखेड़ व उमरेड तहसीलों के कार्य भी शामिल

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नागपुर. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की महत्वाकांक्षी परियोजना जलयुक्त शिवार योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था. इन कार्यों की जांच का जिम्मा कैग को सौंपा गया था. कैग द्वारा योजना पर काम की आलोचना के बाद महाविकास अघाड़ी सरकार ने राज्य में 900 कार्यों की जांच के आदेश दिए हैं. अब एंटी करप्शन ब्यूरो ने मामले की जांच शुरू कर दी है. एसीबी ने नागपुर जिले के नरखेड़ और उमरेड तहसीलों में कार्यों की जांच के लिए जिला परिषद को एक पत्र भेजा है. पत्र से विभाग में हड़कंप मच गया है.

दोनों तहसीलों में कई शिकायतें

जलयुक्त शिवार योजना के माध्यम से पूरे जिले में तालाब को गहरा करने, सिंचाई के बांधों और सीपेज तालाबों का कार्य किया गया. ज्ञात हुआ है कि नरखेड़ तहसील अंतर्गत तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के गांव में तालाब का काम भी शामिल है. साथ ही उमरेड तहसील के नक्षी गांव में कार्यों की जांच की जाएगी. एसीबी ने जिला कृषि अधीक्षक कार्यालय से इस कार्य के संबंध में पूछताछ की. उस पत्र के आधार पर जिला परिषद के जल संरक्षण विभाग से जानकारी मांगी गई है. फडणवीस के कार्यकाल के दौरान नागपुर जिले की 13 तहसीलों में करोड़ों रुपये के पानी के काम किए गए हैं. कुछ झीलों को गहरा किया गया, रिचार्ज किया गया लेकिन नरखेड़, उमरेड तहसीलों में काम के बारे में शिकायतें मिलीं.

ऑडिट रिपोर्ट पर भी आक्षेप

इन 2 तहसीलों में कार्यों पर महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में भी आपत्तियां दर्ज की गई हैं. अब फिर से जांच करनी होगी और विस्तृत रिपोर्ट जिला परिषद व जिला कृषि अधीक्षक कार्यालय को देनी होगी. इस योजना के कार्य में कई त्रुटियां थीं. तीसरे पक्ष के खिलाफ मूल्यांकन न करने, सिंचाई की आवश्यक राशि के हिस्से के रूप में गांवों को लाभ नहीं देने और लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी भूजल स्तर नहीं बढ़ने का आरोप लगाया गया है.

शीतकालीन सत्र से पहले रिपोर्ट जमा करें

प्रदेशभर में अब तक इस योजना के तहत करीब 1,000 कार्यों की जांच की जा चुकी है. कुछ काम की जांच चल रहे हैं. शीतकालीन सत्र से पहले नागपुर जिले में हुए कार्यों की जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी. दोषी पाए गए अधिकारियों पर कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है.