Kolar River, Nagpur

    Loading

    नागपुर. जिले के सावनेर तहसील में चिचोली-खापरखेड़ा व पोटा चनकापुर गांव से निकलने वाला लाखों लीटर सांडपानी कोलार नदी में छोड़ा जा रहा है जिससे नदी के अस्तित्व को ही खतरा पैदा हो गया है. इस नदी को को प्रदूषणमुक्त करने के लिए अब जिला परिषद गांव में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट यानी एसटीपी स्थापित करेगा.

    दरअसल एनजीपी ने जून 2020 में नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए एसटीपी निर्माण का आदेश दिया था अन्यथा जुर्माना भरने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी थी. एनजीपी की चेतावनी के बाद ही कोलार नदी को बचाने के लिए जिला परिषद प्रशासन में हलचल मची थी.

    एनजीपी ने तो मार्च 2021 तक प्रकल्प को पूरा करने का सख्त आदेश दिया था. लेकिन निधि की व्यवस्था नहीं होने के कारण अभी तक कार्य शुरू नहीं हो पाया है. लेकिन अब जिला परिषद ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की मदद से स्वच्छ भारत मिशन से निधि उपलब्ध करवा कर एसटीपी साकार करने पर कार्य किया जा रहा है.

    एमपीसीबी ने नहीं दी निधि

    एसटीपी के लिए 3.56 करोड़ रुपये खर्च अपेक्षित है. जिला परिषद ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल को उक्त निधि के लिए प्रस्ताव भेजा था लेकिन मंडल ने निधि देने से इंकार कर दिया. उसके बाद उक्त प्रकल्प नीरी के वेट लैन्ड टेक्नालाजी के माध्यम से कम लागत में साकार करने का प्रयास किया गया लेकिन उसकी भी लागत करीब 2.50 करोड़ रुपये की बताई गई. जिसके चलते मामला फिर लटक गया. अब जिला परिषद ने स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से इसे तैयार करने का निर्णय लिया है जिस पर 60 लाख रुपये खर्च किया जाएगा. 

    जमीन की हो गई व्यवस्था

    एनजीपी के आदेश के बाद जिला परिषद के सामने प्लांट के लिए जगह की समस्या भी खड़ी हो गई थी. 2020 में तात्कालीन जिलाधिकारी ने लेकिन उक्त समस्या का निराकरण कर दिया था. चिचोली में 0.99 हेक्टेयर जमाीन की व्यवस्था उन्होंने की. 1 जनवरी 2021 को उन्होंने इसकी मंजूरी भी दे दी है. अधिकारी ने बताया कि फिलहाल स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से इस प्रोजेक्ट पर 60 लाख रुपये खर्च किये जाएंगे. अगर एमपीबीसी ने निधि देने से इंकार नहीं किया होता तो प्रकल्प अब तक साकार भी हो चुका होता.