नाशिक: नए वर्ष के स्वागत के लिए नाशिक जिले (Nashik District) के बागलाण, देवला, मालेगांव से 2 हजार 84 टन ‘अर्ली’ अंगूर का निर्यात किया गया। उत्पादकों ने कहा कि हम 7 हजार टन अंगूर (Grapes) निर्यातकों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ‘अर्ली अंगूरों को बेमौसमी बारिश से नुकसान पहुंचने का यह चौथा वर्ष है। इस माह की शुरुआत में बारिश (Rain) होने से पहले 90 से 110 रुपए किलो निर्यात के लिए अंगूर की खरीदी हो रही थी। बेमौसमी बारिश के चलते 75 से 85 रुपए तक निर्यात योग्य अंगूर के दाम हो गए हैं।
अर्ली अंगूर का ढाई हजार एकड़ क्षेत्र में उत्पादन किया जाता है। एक एकड़ की खेती से 7 से 8 टन अंगूर निकलता है, परंतु किसानों (Farmers) द्वारा किए गए प्रयासों में नैसर्गिक आपदा रोड़ा बन रही है। पिछले साल हुई बारिश के चलते दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक 1 हजार टन तक ही अंगूर का निर्यात हो पाया था।
रशिया, दुबई, यूक्रेन और श्रीलंका भेजे गए
इस साल 124 कंटेनर के माध्यम से अंगूर का निर्यात किया गया, जिसमें अधिकतर अंगूर रशिया भेजे गए। साथ ही दुबई, यूक्रेन और श्रीलंका भी निर्यातकों ने अंगूर भेजे। बांग्लादेश में पिछले साल निर्यातकों ने जगह पर ही 75 रुपए किलो अंगूर की खरीदी की थी। इस साल 45 से 60 रुपए किसानों को दाम मिल रहे हैं। चांदवड़ पूर्व के अंगूर आगामी समय में रशिया भेजे जाएंगे। यह जानकारी कृषि विभाग के अधिकारियों ने दी है। दिसंबर में अर्ली अंगूर का निर्यात तेज गति से होता है। इस साल आज भी 25 से 30 प्रतिशत अंगूर बागान में हैं। अगले माह में निर्यात के लिए 20 से 30 प्रतिशत अंगूर तैयार हो जाएंगे। बेमौसमी बारिश के चलते 30 से 40 प्रतिशत अंगूर का नुकसान हुआ है।
रशिया से रासायनिक औषधि से मुक्ति के लिए 2 घटकों के प्रमाण-पत्र की बात कुछ निर्यातक कर रहे हैं। सही मायने में सत्र शुरू होने पर प्रमाण-पत्र की मांग करना गलत है। अब टेस्ट में कुछ गलती हुई तो किसानों को एक किलो अंगूर के पीछे 10 रुपए का नुकसान होगा। अंगूर बागायतदार संघ के पिंपलगांव में होने वाले सम्मेलन में इस बारे में चर्चा कर सरकार से गुहार लगाई जाएगी।
-भारत सोनवणे, संचालक, अंगूर बागायतदार संघ