NASHIK JAIL

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    नासिक रोड: गणतंत्र दिवस उन 34 कैदियों (Prisoners) के लिए यादगार साबित हुआ, जो अनजाने में किए गए अपराध का प्रायश्चित करते हुए जेल से रिहाई का इंतजार कर रहे थे। इन 34 कैदियों को सजा पूरी होने से पहले ही नासिक रोड सेंट्रल जेल (Nashik Road Jail) से रिहा कर दिया गया और अपने परिवार (Family) से मिलने के बाद कई लोगों की आंखों में आंसू छलक पड़े। गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर केंद्र सरकार ने देश के विशेष वर्ग के कैदियों की सजा को लेकर विशेष माफी देने का ऐलान किया था। इस ऐलान के आधार पर महाराष्ट्र राज्य की विभिन्न जेलों में सजा भोग रहे 189 कैदियों को रिहा कर दिया गया। 

    नासिक कारागार अधीक्षक प्रमोद वाघ ने बताया कि रिहा किए गए अधिकांश कैदियों में नासिक रोड जेल में बंद कैदी शामिल हैं। इस मौके पर वरिष्ठ जेल अधिकारी अशोक मलवाड़, वैभव अत्राम भी उपस्थित थे। जेल के अतिरिक्त महानिदेशक अमिताभ गुप्ता और औरंगाबाद सेंट्रल डिवीजन के उप महानिरीक्षक योगेश देसाई के मार्गदर्शन में कैदियों की रिहाई प्रक्रिया सुचारू रूप से की गई।

    कैदियों को तीन चरणों में किया जा रहा है रिहा 

    इस मौके पर आजीवन कारावास, हत्या, बलात्कार, नशीले पदार्थ बेचने जैसे संगीन अपराधों के अलावा अन्य मामलों में सजा काटने वाले कैदियों को तीन चरणों में रिहा करने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के आधार पर अब तक बहुत से कैदियों को रिहा किया गया है। जेल अधीक्षक ने बताया कि नासिक रोड जेल में 3,098 कैदी हैं, जिनमें 84 महिलाएं और 3,014 पुरुष हैं। रिहाई से पहले जेल में संबंधित कैदियों के अनुशासन और आचरण को ध्यान में रखा गया। कैदियों की सजा माफी के पीछे का उद्देश्य यही है कि उन्हें अपने परिवार के सदस्यों के साथ जीवन जीने का अवसर मिले। किन कैदियों को रिहा किया जाए, यह तय करने के लिए राज्य के गृह विभाग के अपर सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।

     पुनर्वास पर काउंसलिंग सत्र भी आयोजित 

    अपर पुलिस महानिदेशक एवं महानिरीक्षक की संस्तुति पर 203 कैदियों की रिहाई का प्रस्ताव पेश किया गया, इसके बाद राज्यपाल ने उस पर अध्ययन किया और कैदियों के व्यवहार, उन्हें दी गई सजा आदि को ध्यान में रखते हुए 203 में से 189 कैदियों को रिहा करने की मंजूरी दी। रिहाई से पहले दोषियों और उनके परिवारों के लिए पुनर्वास पर काउंसलिंग सत्र भी आयोजित किए गए। 

    • सजा मुक्त किए गए कैदियों में से 66 फीसदी की उम्र 18 से 60 साल के बीच है।
    • जिन कैदियों ने अपनी सजा पूरी कर ली थी, लेकिन जुर्माने की सजा बची थी, उन्हें भी रिहा कर दिया गया है।

    गणतंत्र दिवस के मौके पर नासिक रोड जेल से 34 कैदियों को रिहा किया गया। यह रिहाई एक अच्छा नागरिक बनने और एक सम्मानित जीवन जीने के उद्देश्य से की गई है। समाज को भी उनका भरपूर साथ देना चाहिए।

    -प्रमोद वाघ, नासिक जेल अधीक्षक

    मैं भदगांव (जलगांव) का रहने वाला हूं। कोर्ट ने मुझे पांच वर्ष की सजा सुनाई थी। मैंने 4 वर्ष की सजा जेल में काट ली है। घर में पत्नी, मां, दो बच्चे हैं और वे खेती करते हैं। अचानक घर जाकर परिवार के लोगों को सरप्राइज दूंगा।

    -शंकर मोरे, सजा माफी पाने वाला कैदी

    मैं ओजरखेड़ का रहने वाला हूं। चार वर्ष से जेल में सजा काट रहा था। मेरे पिता ज्ञानेश्वर दिवे और मुझे एक कृषि विवाद के कारण जेल जाना पड़ा। हमारी जल्द रिहाई के बारे में जानकर परिवार के लोग बहुत खुश हैं।

    -बालू दिवे, सजा से मुक्त कैदी