बच्चे को गोद लेना हुआ आसान, अब जिला अधिकारी करेंगे फैसला, जानिए कैसे

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    नासिक : किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) 2015 में संशोधन के चलते अब गोद (Adoption) लेने की घोषणा का अधिकार न्यायालय (Court of Rights) के बजाए जिला अधिकारी (District Officer) को दिया गया है। संबंधित मामलों का तेजी से निपटारा करने के लिए यह निर्णय किया गया है। इसके साथ ही जिला अधिकारी को बाल देखभाल संस्थाओं, जिला बाल कल्याण समिति, बाल न्याय समिति आदि की निगरानी का भी अधिकार दिया गया है। न्यायाधीशों के व्यस्तता के कारण दंपत्तियों को बच्चा (Children) गोद लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। परिणामस्वरूप कई दंपत्ती अवैध रूप से बच्चा गोद लेते हैं। 

    इसलिए राज्य सरकार ने बच्चा गोद देने का अधिकार जिला अधिकारी को देने का निर्णय लिया है ताकि पूरी प्रक्रिया एक ही स्थान पर की जा सके और संबंधित दंपत्ति को मानसिक सहयोग मिले। इससे इस पेचीदा और अत्यंत जटिल समस्या को आसान होने में मदद मिलेगी। बच्चा गोद लेने के लिए संबंधित दंपत्ति को केंद्रीय गोद ग्रहण संसाधन प्राधिकरण की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण के बाद 30 दिनों के भीतर आवश्यक दस्तावेज अपलोड किए जाने चाहिए। उसके बाद उपलब्धता के आधार पर ‘कारा’ द्वारा मेरिट सूची तैयार की जाती है। शिशुगृह अथवा जिला बाल कल्याण कार्यालय से गृहभेट संबंधित जानकारी अपलोड की जाती है। एक महीने के अंतराल पर 3 बच्चों को माता-पिता के पास भेजा जाता है। फिर 48 घंटे के भीतर बच्चे के निर्धारण के बाद दत्तक ग्रहण समिति द्वारा माता-पिता का मूल्यांकन किया जाता है। जिला महिला और बाल विकास विभाग को प्राप्त आवेदन और आवश्यक दस्तावेज जिला अधिकारी के पास जमा करने होंगे। तत्पश्चात सुनवाई होने के बाद बच्चा गोद दिए जाने संबंधित निर्णय होगा। 

    ऐसी है योग्यता

    दंपत्ति शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए। एक अकेली महिला या पुरुष एक बेटे या बेटी को गोद ले सकता है। जोड़े की शादी को दो साल से अधिक समय होना चाहिए। यदि पहले से ही तीन या अधिक बच्चे हैं, तो वे गोद लेने के योग्य नहीं होंगे। 

    भारतीय जोड़ों के लिए आवश्यक दस्तावेज

    फोटोग्राफ, पैन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आयकर भुगतान की प्रति, शारीरिक स्वास्थ्य का प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण पत्र (यदि विवाहित है), तलाकशुदा होने पर न्यायालय के प्रमाण पत्र, संभावित दत्तक से संबंधित दो व्यक्तियों की घोषणा, पहले बच्चे की आयु यदि पांच वर्ष से अधिक हो तो उनका सहमति पत्र भी अनिवार्य है। 

    संख्या में अधिक अंतर

    राज्य सरकार ने न्यायाधीशों के कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुए गोद लेने की प्रक्रिया में बदलाव किया है। अब कलेक्टर इस संबंध में आदेश जारी करने जा रहे हैं। चूंकि बच्चों की संख्या और गोद लेने के इच्छुक लोगों की संख्या के बीच बहुत बड़ा अंतर है, इसलिए दंपति को दो साल तक इंतजार करना पड़ता है। – राहुल जाधव, प्रबंधक, आधार आश्रम