Nandur Madhyameshwar

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    नाशिक:  तापमान (Temperature) में कमी आते ही नांदूर मध्यमेश्वर में (Nandur Madhyameshwar) पक्षियों (Birds) के आने का सिलसिला बढ़ गया है। चापडगांव (Chapadgaon) के पास पूर्व की तरफ टावर पर दुर्लभ साइबेरियन लूसिस्टिक पक्षियों (Siberian Leucistic Birds) का कलरव बढ़ गया है। इन्हें देखने के लिए पक्षी प्रेमियों की भीड़ जुटने लगी है। 

    30 हजार पक्षियों में एक पक्षी लूसिस्टिक होता है और उसका दर्शन दुर्लभ माना जाता है। ठंड के मौसम में परी बत्तख देश बदलने वाले बत्तख हैं और ये साइबेरिया से आते हैं।

    चमकदार हरे रंग का होता है मुंह और सिर 

    इस पक्षी का मुंह और सिर चमकदार हरे रंग का होता है, जबकि इसकी छाती का रंग सफेद होता है। ये पक्षी ठंड के मौसम में भारत, श्रीलंका और मालदीव के टापू में देखने को मिलते हैं। कीड़ा, मिट्टी, शंख, छोटी मछलियां और सभी प्रकार के बीज इनके भोजन हैं। इनके चोंच अधिक लंबे और आगे चिपटा होता है। यह लंबे और चिपटे चोंच ढाई इंच तक होते हैं। इसमें करीब 110 बेहद छोटे छेद होते हैं। इससे अन्न और पानी छनकर जाता है। इनका सिर चमकदार, सुंदर, हरे रंग का होता है। पेट और पंख चमकदार पीले और तांबे के रंग का होता है। पंख में कंधे के पास चमकदार धारियां होती हैं। पानी के पास मिट्टी के सहारे वे अपना घर बनाते हैं। इसकी मादा करीब 9 अंडे देती हैं। अंडे से बाहर आने के बाद उनके बच्चे यहीं पानी के पास रहने वाले पेड़ के नीचे पलते और बढ़ते रहते हैं।

    नांदूर मध्यमेश्वर पक्षी अभयारण्य में पिछले महीने से मैं पक्षियों पर नजर बनाए हुए था। शुरुआत में ये पूरे सफेद रंग के नहीं थे। जैसे-जैसे ठंड बढ़ने लगा, मादा पक्षियों का रंग सफेद होता गया। अब वे पूरी तरह से सफेद रंग के हो गए हैं।

    – शंकर लोखंडे, गाइड